लखनऊ : नोएडा प्राधिकरण के इंजीनियर यादव पर भ्रष्टाचार के प्रकरण में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने जांच की कमान सीबीआई को सौप दी है. यादव सिंह के ऊपर करोड़ो रूपए की धांधली करने का आरोप लगाया गया था. अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच का जिम्मा सीबीआई को दे दिया है. यादव सिंह घोटाले के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्‍य न्‍यायमूर्ति डॉक्टर डीवाई चंद्रचूड एवं न्‍यायमूर्ति एसएन शुक्‍ल की पीठ ने सामाजिक कार्यकर्ता व आरटीआई एक्टिविस्‍ट नूतन ठाकुर की जनहित याचिका की स्वीकृति के बाद ये आदेश जारी किये. इस मामले में पीठ ने कहा कि केन्‍द्र ने 2011 में वरिष्‍ठ वकील राम जेठमलानी ने दायर एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट को काले धन की जांच के लिए गठित एसआईटी के हवाले से राज्‍य सरकार को एक खत लिखा था. इसका उत्तर राज्‍य सरकार ने 6 अप्रैल 2015 को दिया. 10 फरवरी 2015 को मामले की जांच करने के लिए हाईकोर्ट के रिटायर जज जस्टिस एन वर्मा की अध्‍यक्षता में एक सदस्‍यीय न्‍याय आयोग का गठन किया गया. इस वजह से सीबीआई जांच की आवश्यकता महसूस नहीं की गयी. लेकिन बाद में 11 जुलाई 2015 को राज्‍य सरकार ने आर्थिक अपराध शाखा को न्‍यायिक जांच में समर्थन करने के आदेश दिए. इंजीनियर यादव सिंह प्रकरण में ,पीठ का कहना था कि इससे स्पष्ट होता है की मामला कितना उलझा हुआ और जटिल है. जिस तरह यादव सिंह को प्रमोशन दिया गया और उनकी पत्‍नी व परिवार के नाम पर बहुत सारी सम्पति मिली. इससे पूरे मामले में सीबीआई जांच की आवश्यकता साफ़ पता चलती है. इस मामले में कोर्ट का कहना था कि पूर्व में यादव सिंह के विरुद्ध एक एफआईआर दायर की गयी थी जिसकी जांच की कमान सीबीआई के हाथो में सौपी गयी थी. नवंबर 2014 में नोएडा अथॉरिटी के चेयरमैन रहे यादव सिंह के ठिकानों पर आयकर विभाग ने छापेमारी की थी जिसमे अरबों रुपए की सम्पति का खुलासा हुआ था. जिसके बाद यादव सिंह को रातोंरात नोएडा अथारिटी व ग्रेटर नोएडा अथारिटी व यमुना एक्‍सप्रेस वे में इंजीनियर इन चीफ के उच्च पदो पर नियुक्त किया गया. इन सब बातो से साफ़ पता चलता है की यादव का राजनेताओ के साथ गहरा नाता है और वे किसी ना किसी रूप में उनका बचाव करते रहे.