मोहब्बत क्या मोहब्बत का सिला क्या -अलीम 'अख्तर'

मोहब्बत क्या मोहब्बत का सिला क्या...

मोहब्बत क्या मोहब्बत का सिला क्या ग़म-ए-बर्बादी-ए-जिंस-ए-वफ़ा क्या दिल-ए-बे-मुद्दआ का मुद्दआ क्या हमारा हाल हम से पूछना क्या हमें दुनिया में अपने ग़म से मतलब ज़माने की ख़ुशी से वास्ता क्या सितम-हा-ए-फ़रावाँ चाहता हूँ करम की आरज़ू क्या इल्तिजा क्या हम उस के और उस का ग़म हमारा इस अंदाज़-ए-करम का पूछना क्या रहा दिल को न अब ज़ौक़-ए-सितम क्यूँ वो हैं आमादा-ए-तर्क-ए-जफ़ा क्या तेरे ग़म के सहारे जी रहे हैं हमारी आरज़ू क्या मुद्दआ क्या बहारों पर ख़िज़ाँ सर्फ़-ए-असर है मआल-ए-ग़ुंच-ओ-गुल देखना क्या तअल्लुक़ और तेरे ग़म से तअल्लुक़ उरूज-ए-बख़्त-ए-'अख़्तर' पूछना क्या.

-अलीम 'अख्तर'

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