अल्फ़ाज़ चुराने की ज़रूरत

अल्फ़ाज़ चुराने की ज़रूरत ही ना पड़ी कभी; तेरे बे-हिसाब ख्यालों ने बे-तहाशा लफ्ज़ दिए।

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