नई दिल्ली : अजमेर में हिंदूत्ववादी समर्थकों द्वारा किए गए धमाकों को लेकर गठित की गई नेशनल इंन्वेस्टिगेटिंग एजेंसी की जांच प्रभावित हुई है। इस दौरान सबसे बड़ी परेशानी यह रही कि इस मामले के करीब 13 अहम गवाह अपने पूर्व बयानों से पलट गए हैं। मामले को लेकर कहा गया है कि इसे जांच कार्यवाई में बहुत बड़ा ड्राॅ बैक माना जा रहा है। भगवा आतंक के तौर पर जाने जोन वाले इन धमाकों को लेकर गवाहों के बदलने को काफी सनसनीखेज माना जा रहा है। दरअसल एनआईए को इससे निराशा हाथ लगी है। इस मामले में वर्ष 2013 से ही जयपुर में सुनवाई की जा रही है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2007 में इफ्तार पार्टी के दौरान अजमेर में धमाका हुआ था। जिसमें करीब 3 लोगों की मौत हो गई थी। और कुछ लोग घायल हो गए थे। मामले में राजस्थान की एटीएस द्वारा जांच की जा रही थी। इस मामले में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के देवेंद्र गुप्ता, लोकेश शर्मा, चंद्रशेखर लेवे आदि के विरूद्ध प्रकरण दर्ज किया गया था। मामले में कहा गया कि ये लोग आरएसएस से जुडे़ थे या इनका हिंदूवादी संगठनों से संबंध था। बाद में इन्हें ही भगवा आतंक का नाम दिया गया।