अज़ब बेकरारी हो जाती है हर शाम को! हऱ घड़ी जुबाँ पर लेता हूँ तेरे नाम को! दर्द की जंजीर से जकड़ जाती है जिन्द़गी, खोजता हूँ हरलम्हा मयक़शी के जाम को!