नर्मदा जल शुद्धता पर सवाल के बाद एमपीपीसीबी हरकत में

भोपाल : अब नर्मदा नदी के पानी की शुद्धता देखने के लिए 19 नए स्थानों से सैम्पल लेकर जांच की जाएगी. गुजरात में नर्मदा नदी के पानी की गुणवत्ता पर सवाल उठने के बाद मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीपीसीबी) ने ये निर्णय लिया है. नए सैम्पल की जांच रिपोर्ट फरवरी 2018 में आएगी. अभी क्या है सैंपलिंग का तरीके पार एक नज़र -

फ़िलहाल मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अमरकंटक से लेकर ककराना तक 31 स्थानों से सैम्पलिंग करता है. इसकी जांच पीसीबी की क्षेत्रीय प्रयोगशालाओं में होती है. इस रिपोर्ट के अनुसार सभी जगह पानी ए-केटेगिरी का है, लेकिन दिसंबर 2017 में अहमदाबाद के कार्तिक कुमार भट्ट ने इस रिपोर्ट पर सवाल खड़े किए थे. उन्होंने गुजरात हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाकर नर्मदा के पानी को खराब बताया है. मामले की अगली सुनवाई 27 जनवरी को होनी है. गुणवत्ता पर उठे सवाल के बाद से मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड हरकत में आ गया है. याचिका में ये दी हैं दलीलें याचिका में कहा गया है कि नर्मदा नदी 14 जिलों व 11 बड़े शहरों से होकर करीब 1300 किमी क्षेत्र में बहती है. इनमें से अधिकांश शहरों से निकलने वाला खराब पानी बिना ट्रीट किए नर्मदा में छोड़ा जा रहा है इसके कारण पानी दूषित हो रहा है. इससे गुजरात में जानमाल को नुकसान पहुंच सकता है. मप्र पीसीबी की रिपोर्ट, ए-केटेगिरी का है पानी इधर मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की साल 2017 की रिपोर्ट (जुलाई-अगस्त को छोड़कर) के मुताबिक सभी 31 स्थानों पर पानी की क्वालिटी ए-केटेगिरी की है. ए-केटेगिरी यानी पानी को बिना ट्रीट किए पीने के उपयोग में ले सकते हैं.

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