25 दिन बाद भी सत्याग्रहियों की सुध नहीं, पैरों से बह रहा है खून

इंदौर : मध्यप्रदेश के घोघल गांव के साथ आसपास के ग्रामीण नदी के पानी में उतरकर लगातार 25 दिन से जल सत्याग्रह कर रहे हैं। ग्रामीणों की मांग है कि उनका गांव, खेत और घर डूब की जद में आ रहे हैं ऐसे में उनके लिए पुर्नस्थापन की वाजिब व्यवस्था की जाए। उन्हें जमीन के मान से उपजाऊ जमीन दी जाए या फिर जमीन का उचित मुआवजा करेंट समय के अनुसार दिया जाए।

इन मांगों को लेकर सत्याग्रही लगातार पानी में उतरकर आंदोलन कर रहे हैं, 25 दिन होने के बाद सत्याग्रहियों की हालत बहुत खराब हो गई है। मिली जानकारी के अनुसार डूब प्रभावित क्षेत्र में आने वाले गांवों के ग्रामीण खंडवा जिले के ओंकारेश्वर बांध का जलस्तर कम करने की मांग कर रहे हैं। नर्मदा बचाओ आंदोलन की चितरूपा पालित ने सत्याग्रहियों की बिगड़ती हालत पर चिंता जताते हुए कहा है कि उनके पैर चलने के काबिल नहीं बचे हैं, नित्यकर्म के लिए सत्याग्रहियों को गोद में उठाकर ले जाना पड़ता है।

यही नहीं मछलियां सत्याग्रहियों को काट रही हैं। हालांकि घोघल गांव के ग्रामीणों की हालत को लेकर बड़ी संख्या में बुद्धिजीवी सामने आए हैं। इन सभी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर उन्हें जलसत्याग्रह से अवगत करवाया है। आंदोलन को लेकर उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान द्वारा ध्यान नहीं दिए जाने की बात भी कही है। मामले को लेकर बद्धिजीवियों - मेग्सेसे पुरस्कार विजेता अरूणा राय, पूर्व वित्त सचिव ईएएस शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार निखिल वाघले, छत्तीसगढ़ पीयूसीएल की सचिव सुधा भारद्वाज, प्रोफेसर कमल आदि ने सत्याग्रहियों की हालत पर चिंता जताई।

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