बेल के फल से मिलेगा खांसी में आराम

बेल के फलों में ‘बिल्वीन’ नाम या ‘मार्मेसोलिन’ नामक तत्व एक प्रधान सक्रिय घटक होता है. इसके अतिरिक्त गूदे में लबाब, पेक्टिन, शर्करा पायी जाती है . ताज़े पत्तों से प्राप्त हरे रंग का तेल स्वाद में तीखा और सुगन्धित होता है.

फायदे -

1-आँखें दुखने पर पत्तों का रस, स्वच्छ पतले वस्त्र से छानकर एक-दो बूँद आँखों में टपकाएँ. दुखती आँखों की पीड़ा, चुभन, शूल ठीक होकर, नेत्र ज्योति बढ़ेगी.

2-छाती में जमे कफ से तेज़ खाँसी उठती है. रोगी रातभर सो नहीं पाता. इसमें सौ ग्राम बेल गूदा आधा किलो पानी में हल्की आँच में पकायें. तीन सौ ग्राम रह जाने पर उतार कर छान लें. एक किलो मिश्री की एक तार चासनी बनाकर इसमें मिलाएँ. एक रती भर केसर और थोड़ी जावित्री डालकर इसे सुगंधित और पुष्टिकर बना लें. गुनगुना घूँट-घूँट कर पिएँ. सर्दियों में इस्तेमाल करने से कफ इकठ्ठा नहीं होगा.

3-दमा में कफ निकालने के लिए बेल की पत्तियों का काढ़ा दस-दस ग्राम सुबह-शाम शहद मिला कर पिएँ. अथवा पाँच ग्राम रस में पाँच ग्राम सरसों का शुद्ध तेल मिला कर पिलाएँ.

4-पीलिया में बेल की कोंपलों का पचास ग्राम रस, एक ग्राम पिसी काली मिर्च मिलाकर सुबह-शाम पिलाएँ.शरीर में सूजन भी हो तो पत्र रस तेल की तरह मलिए.

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