बुद्ध भगवान के अनुसार इंसान के बड़े शत्रु क्रोध से ऐसे बचे

क्रोध करने से मनुष्य का चेहरा कुरूप हो जाता है। उसे पीड़ा होती है। वह गलत काम करता है। उसकी संपत्ति नष्ट हो जाती है। साथ ही क्रोध करने से जीवन में संकटो के पहाड़ टूट पड़ते है उसकी बदनामी होती है। उसके मित्र और सगे-संबंधी उसे छोड़ देते हैं और उस पर तरह-तरह के संकट आते हैं। अतः भगवान बुद्ध के अनुसार मनुष्य को कभी क्रोध नहीं करना चाहिए और इससे बचने के उन्होंने कुछ उपाय भी बताये जो इस प्रकार है। 

 मैत्री से : जिस आदमी के प्रति क्रोध या क्षोभ हो, उसके प्रति मैत्री की भावना रखें। करुणा से : जिस आदमी के प्रति क्रोध या क्षोभ हो, उसके प्रति करुणा की भावना रखें। मुदिता : जिस आदमी के प्रति क्रोध या क्षोभ हो, उसके प्रति मुदिता की भावना रखें। उपेक्षा से : जिस आदमी के प्रति क्रोध या क्षोभ हो, उसके प्रति उपेक्षा की भावना रखें। कर्मों के स्वामित्व की भावना से :जिस आदमी के प्रति क्रोध या क्षोभ हो, उसके बारे में ऐसा सोचो कि वह जो कर्म करता है, उसका फल अच्छा हो या बुरा, उसी को भोगना पड़ेगा।

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