अभिमन्यु के पास भी नहीं था

ट्रेन के अंदर की भीड़ के ‘चक्रव्यूह’ को तोड़ने का  जो कौशल इन “नमकीन व नारियल” बेचने वालों  के पास होता है  वो तो ‘अभिमन्यु’ के पास भी नहीं था।

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