अब भी कुछ नहीं बदला है

रोटियाँ अब भी तुम वही हो, गोल मटोल सी तवे पर माँ द्वारा दुलरा पुचकार कर पकाई जाती  बच्चों की टकटकी लगाई तरसती आँखें  अब भी तुम्हारा इंतज़ार करती हैं अब भी कुछ नहीं बदला है बापू की दिन भर की हाड़ तोड़ती मेहनत के बाद तुम नसीब होती हो बरसात मे बिना छाते के काम पे पैदल पापा सिर्फ तुम्हारे लिए ही जाते हैं पापा के ओवरटाइम के बाद तुम जरूर  मम्मी द्वारा तिकोने पराठे बना दी जाती हो या कभी कभी जायकेदार पूरियाँ मगर तुम हमे अब भी प्यारी हो तुमने ही माँ बाप से संबंध जोड़ रखा है क्योंकि,रोटियाँ देने वाली के आने के बाद माँ बाप भी पराए हो जाते हैं तुमसे अगर खुशी है कि तुम लोगों को जोड़ती हो तो शिकायत भी है कि तुम लोगों को घर परिवार से दूर भी कर देती हो रोटियाँ! तुम अब भी नहीं बदली  कल मेरी जगह मेरे पापा थे और कल मेरी जगह मेरा बेटा होगा क्योंकि, कमाने वाले ही बदलते हैं रोटियाँ नहीं बदलतीं ऐ रोटियाँ! तुम कभी इतनी बेईमान मत होना  कि हमें बेईमानी करनी पड़े हमे पिज्जा पाव वाली नहीं सिर्फ तवे की सादी गोल मटोल रोटियाँ ही पसंद हो  बशर्ते अपनी तरह हमें भी ईमानदार बनाना और जब भी हमें भूख लगे लहसुन नमक मिर्च की चटनी के साथ ही आ जाना मुझे तुम्हारा अब भी इंतज़ार है

Related News