आशिकों की कोई जात नहीं होती

बड़ी ढीठ जात होती है... के आशिकों की कोई जात नहीं होती है... जिस पे भी दिल आ गया.. उसे खुदा बना दिया... ग़ैरत को जलाकर बेग़ैरती में घोल कर पी लिया फिर क्या दिन, क्या रात... पागलों की कोई औकात नहीं होती के आशिकों की कोई जात नहीं होती...... अरे बेवकूफों, कोई भी खुदा नहीं होता किसी का भी दर्जा खुद से बड़ा नहीं होता... वो जिसके क़सीदे .... दिन रात पढ़ते हो न मिल जाये तो उससे भी वफ़ा नही होती... खुली सिलाई की ,हर जगह रफू नहीं होती... बड़ी ढीठ जात होती है... के आशिकों की कोई जात नहीं होती....

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