आँखे मिलाकर अब शरारत हो गई

आँखों से आँखे मिलाकर अब शरारत हो गई , बड़ी खूबसूरत जो उनसे ये मोहब्बत हो गई ! मुझमें दिखता है कभी वो लोगों में दिखता है , इसलिए मुझे भी अब जीने की आदत हो गई ! जाऊं नजदीक उसके तो धकधक सा होता है , संभाला बहुत है फिर भी ये कयामत हो गई ! तन तड़पता है कभी तो मन भी तड़पता है , नामुराद दिल को दिलकश शिकायत हो गई ! देता कौन कौन लेता था प्रेम में जाना ना था , आँखों में दोनों के अब तो ये इबादत हो गई ! नशा ना था शराब में , जब डूबा मै शबाब में , जानकर ये फिर फना होने की हसरत हो गई ! मै क़ासिद हर्फ़ का और वो मेरी तसब्बुर है , जाने क्यूं उसी में खुदा सा अकीदत हो गई ! वो प्यासी मेरी नजरो की मै प्यासा था उसका , लगा रहा मुझे जैसे मुद्दत ए उल्फ़त हो गई ! घुमते रहे हुस्न ए जहां में हम दोनों ही हबीब , जैसे 'कुमार' ताजिर औ वो तिजारत हो गई ! 

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