आँख में खून छलकता है

आँख में खून छलकता है अपनी कहानी क्या कहूं ? मिटा दिया मेरा नामों निशाँ उनकी निशानी क्या कहूं ? उनके लिए बेवजह कितने सपने सजाये कभी मैंने मिल गयीं जो गर्दिशों में जिंदगानी क्या कहूं ? थी खूबसूरत परी एक सोचा जिंदगी खुशियो से भर दूँ । थी उनकी बेवफाई हँसी इतनी उनकी मेहरबानी क्या कहूं ? मुझे एहेसास था की वो दीवानी मेरे प्यार की | ताज्जुब इस बात का उनकी नादानी क्या कहूं ? वो क्या खुसनुमा मंजर थे जो पसमंजर में मिल गए तकदीर ने जो खेला खेल उसकी रवानी क्या कहूं ? उनके हाजिर जवाब का क्या हम तो आँखों के दीवाने थे मेरे आँखों के दरिया का उतरना पानी क्या कहूँ ? उनकी अदायें उनकी मुस्कराहट कातिल निगाहे थी उस बेखबर महोब्बत का दिल पर छुरी चलाना क्या कहूँ ? जिंदगी की कदम लड़खड़ाते रहे इस कदर इस दर्दे दिल की वीरानी क्या कहूँ? कहता है नरेन्द्र !ये आँखों की गुस्ताखियां थी दोस्त ये इश्क़ का जुनु था इसकी प्रेम कहानी क्या कहूँ?

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