सहमी, डरी हुई, “कमसिन तनख़्वाह” चुपचाप सर झुकाये आ रही थी.. और “किश्त” “बिल” और “खर्चा” नाम के गुंडे सीटी बजा रहे थे!!” आखिरकार “तनख़्वाह” लुट गयी।