कोई तो लौटा दो मुझको वो बचपन वो बेफिक्र आज़ाद पंछी की तरह जीना वो अपने-आप में ही मग्न रहना ना सुबह का ख्याल ना रात के ख़्वाब वो हर छोटी ख़ुशी में खुलकर हँसना और हर उस छोटी गलती पर कहीं भी रो लेना वो दोस्तों के साथ मस्ती करना और भाई के साथ कुश्ती करना बहुत याद आता है मुझको कोई तो लौटा दो मुझको वो बचपन।।