आज उनपे भी नजर है

वो मँजिल जिसे पाने को,, लोग मर रहेँ है ......... सुकूँ की नीँद सोने को,, हर जतन कर रहेँ हैँ .....  आज उनपे भी नजर है,, भू- माफियावो की ....  श्मशान अपने हालात पे,, रो - रो के मर रहेँ हैँ

Related News