आदमी तो बेमिसाल थे

किसी का इश्क किसी का ख्याल थे हम भी गए दिनों में बहुत कमाल थे हम भी हमारी खोज में रहतीं थीं तितलियाँ अक्सर अपने शहरे का हुस्न ओ जमाल थे हम भी जमीन की गोद में सिर रखकर सो गए आखिर तुम्हारे हिज्र में कितने निढाल थे हम भी हम अक्स अक्स बिखरते रहे इसी धुन में कि जिंदगी में कभी लाजबाब थे हम भी किसी की याद ने निकम्मा कर दिया हमें वरना आदमी तो बेमिसाल थे हम भी

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