इन्साफ नहीं मिलने पर पानी की टंकी पर चढ़ी दुष्कर्म पीड़िता

लखनऊ : एक बलात्कार पीड़ित महिला न्याय व्यस्था से परेशान है. दर दर भटकने पर भी उसे न्याय नहीं मिला. मामला उत्तर प्रदेश का है. महिला तीन महीने से गर्भवती है. इसकी जाँच के लिए भी डीजीपी के आदेश के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गयी. इन सबसे परेशान होकर महिला गुरुवार प्रातः करीब 9.30 बजे सिविल अस्पताल में बनी पानी की टंकी पर चढ़ गई. इसकी सूचना शालू ने अस्पताल के मुख्यद्वार पर मौजूद सुरक्षा गार्ड मोहम्मद को दी. 10 मिनट बाद ही पुलिस अस्पताल पहुंची और युवती को समझा बुझा कर उतारने का प्रयास करने लगी लेकिन सब व्यर्थ रहा. ज्यादा बात बिगड़ने पर हाइड्रोलिक क्रेन भी मंगाई गई, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ.

अस्पताल के अधीक्षक डॉ. आशुतोष दुबे मोबाइल फोन पर समझाने का भी महिला पर कोई असर नहीं हुआ. बाद में घटना स्थल पर एसीएम (प्रथम) विनोद कुमार, एसपी (पूर्वी) रोहित मिश्रा, हजरतगंज के क्षेत्राधिकारी अशोक कुमार वर्मा, हजरतगंज के इंस्पेक्टर विजयमल यादव, हुसैनगंज के इंस्पेक्टर शिवशंकर सिंह विशाल पुलिस बल के साथ पहुंचे और तुरंत करवाई करने की बात कह कर उसे नीचे उतार गया. महिला को सिविल अस्पताल में भर्ती करवाया गया. पीड़िता अपने साथ हुए अत्याचार के लिए न्याय का गुहार कर रही थी और वहा खड़ी महिला आरक्षक उसकी स्तिथि पर मजाक कर रही थी. महिला आरक्षक कहती है देखो  बसंती टंकी पर चढ़ी है।'   पीड़िता ने जानकारी दी कि, वह न्याय पाने कि इच्छा लेकर राजधानी पहुंची . महिला ने 19 मई को सबसे पहले लिखित शिकायती पत्र राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के निदेशक को दिया.  उन्होंने उसी समय रिपोर्ट दर्ज करने के बाद मेडिकल जांच करवाई और  फैक्स के द्वारा एसपी (आंबेडकर नगर) और डीआईजी (फैजाबाद) को धारा 164 के लिखीय रूप में बयान दर्ज करने के निर्देश दिए. पीड़िता ने निर्देशानुसार दूसरे दिन डीजीपी के पास पहुंची. पीड़िता ने अपने साथ हुए अत्याचार कहानी  डीजीपी को सुनाई. डीजीपी ने अपने पीआरओ को महरुआ थानाध्यक्ष से फोन कर मामला को लेकर रिपोर्ट दायर करने को कहा. 

पीआरओ ने पीड़िता को थाने में दो दिन बाद आने को कहा. जब पीड़िता थाने पर पहुचने पर थानाध्यक्ष ने सुस्त रुख अपनाते हुए पीड़िता को वही बैठाये रखा. महिला ने  का आरोप लगाया है कि पुलिस ने कोरे कागज पर दस्तखत करा लिए और थानाध्यक्ष ने अपने अनुसार तहरीर में परिवर्तन कर दिया.  थानाध्यक्ष ने जवाब में कहा, "थाना मुझे चलाना है डीजीपी को नहीं।"हैवानियत का शिकार गर्भवती इसके बाद 6 जून को हजरतगंज स्थित गांधी प्रतिमा के सामने भी धरना देने बैठी और गर्मी के कारण बेहोश हो गयी. पुलिस ने उसे सिविल अस्पताल में दाखिल करवा दिया. पीड़िता ने अपने ब्यान में कहा कि अगर उसे जल्दी न्याय नहीं मिला तो वो खुद को समाप्त कर लेगी.

अंबेडकर नगर जिले के दांदूपुर गांव की सीमा देवी (काल्पनिक नाम) पिछले वर्ष जुलाई में दुष्कर्म किया गया था. मामला यह है कि महिला संध्या के समय वह शौच के लिए जा रही थी, तभी मार्ग में गांव के ही विनोद दुबे, गोविंद कुमार और लल्लू वर्मा उर्फ रणजीत ने लाल रंग की बोलेरो से आए. पहले उन्होंने महिला अपहरण किया. इसके पश्चात महिला को अकबरपुर की तरफ टांडा रोड पर जोलैहा गांव के पास कांशीराम आवासीय कालोनी के घर में लेकर गए. यहां तीनों ने तीन माह तक महिला को बंदी बना कर रखा और उसके साथ लगातार तीन माह तक बलात्कार करते रहे.  इसके बाअद महिला गर्भवती हो गयी. महिला के गर्भवती होने पर तीनो ने उसे बेहोशी की दवा पिला कर गर्भपात के लिए अस्पताल ले कर गए. 10 हजार रुपये में  महिला का गर्भपात करा दिया गया. तीनो ने उसके बाद भी काफी समय तक उसके साथ बलात्कार किया और फिर से गर्भवती होने पर उसे छोड़ कर भाग गए.   एसीएम (प्रथम) विनोद कुमार ने बताया कि , "पीड़िता पूर्व में धरने के समय बेहोश हो चुकी है.  महिला को जल्द कार्रवाई करने का आश्वासन देकर सही सलामत टंकी से उतार लिया गया है. अंबेडकर नगर जिलाधिकारी को भी पुरे मामले कि फ़ोन पर जानकारी दे दी गयी है. पीड़िता को न्याय दिलाने का पूरा पूरा प्रयत्न किया जाएगा और दोषियों को जल्द ही सजा दी जावेगी. पूर्वी लखनऊ के एसपी रोहित कुमार मिश्रा ने बताया कि" घटना का सम्बन्ध राजधानी से नहीं है. फिर भी हम पूरी सहायता कर रहे है.

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