सरकार ने शुक्रवार को सरकारी बैंकों की हालत सुधारने के लिए सात-सूत्री कार्यक्रम की घोषणा की है. इनमें खाली पदों पर जल्दी नियुक्तियां, बैंक बोर्ड ब्यूरो का गठन, बैंकों को पूंजी, एनपीए का दबाव कम करना, बैंकों के अधिकार और जिम्मेदारी बढ़ाना और गवर्नेंस संबंधी सुधारो को शामिल किया हैं. पूरी योजना को ‘इंद्रधनुष’ नाम दिया है. सरकार ने इसे 1969 में बैंकों के राष्ट्रीयकरण के बाद अब तक का सबसे बड़ा कदम बताया है. सरकार के फैसले की जानकारी देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बताया कि बैंकों के प्रदर्शन की मॉनिटरिंग की व्यवस्था भी की जाएगी. एनपीए से निपटने के लिए एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनियों के अधिकारों में बढ़ोतरी की जाएंगे. इसके अलावा बैंक इन्वेस्टमेंट कमेटी का गठन भी किया जाएगा. यह पीएसयू बैंकों में सरकार की होल्डिंग कंपनी के तौर पर भी काम करेगी. उन्होंने बैंकों को 20,000 करोड़ रुपए की पूंजी देने का भी जिक्र किया. जेटली ने बताया कि सीनियर लेवल की नियुक्तियों में सरकार का अब सीधा हस्तक्षेप नहीं होगा. इसके लिए बैंकिंग बोर्ड ब्यूरो का गठन भी किया गया है. यह 1 अप्रैल 2016 से काम करना शुरू करेगा. यह मौजूदा अपॉइंटमेंट बोर्ड की जगह लेगा. ब्यूरो का अध्यक्ष किसी सेवानिवृत्त बैंकर, प्रशासक, प्रबंधक या ऐसे किसी व्यक्ति को बनाया जाएगा. जेटली ने कहा कि बैंकों के कामकाज में राजनीतिक दखलंदाजी कम करना भी बेहद जरूरी हो गया है. इससे बेंको की आर्थिक स्थिति सुधरने के साथ जोखिम भी कम होगा.