महिला समेत 3 की हत्या करने वाले 4 कातिलों को फांसी

गाजियाबाद : लूट की रकम के बंटवारे को लेकर हुए विवाद में महिला समेत 3 लोगों की हत्या के मामले में कोर्ट ने बुधवार को 4 लोगों को दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई. कोर्ट ने चारों आरोपियों को एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता राजीव कुमार ने बताया कि 11 फरवरी 2004 को थाना साहिबाबाद क्षेत्र के शालीमार गार्डन एक्सटेंशन में कूड़ेदान में एक महिला सहित 3 लोगों के शव मिले थे. तीनों शव के सिर नहीं थे.

जांच के दौरान एक मृतक के कपड़े से एक पर्ची मिली थी इसमें एक फोन नंबर लिखा था. यह नंबर आकाश गंगा कुरियर एजेंसी का था. पुलिस ने फोन नंबर के जरिए साहिबाबाद में ही रहने वाले महेश नाम के व्यक्ति का पता चला. महेश ने बताया कि पर्ची पर लिखी राइटिंग एजेंसी में कार्य करने वाले झारखंड निवासी चंद्रदेव की है. इसके बाद पुलिस ने चंद्रदेव की तलाश शुरू की. पुलिस ने 17 फरवरी 2004 को चंद्रदेव के साथ पवन, विनोद और द्वारिका नाम के व्यक्तियों को गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ के दौरान इन चारों ने ही हत्या की बात कबूली थी.

आरोपियों से पूछताछ के आधार पर मृतक की शिनाख्त हरि, केशव और केशव की मां कालिया के रूप में हुई। उन्होंने बताया कि इनकी हत्या लूट की रकम के बंटवारे के विवाद में हुई थी। इसके बाद पुलिस ने चारों आरोपियों की निशानदेही पर शालीमार गार्डन स्थित नाले से महिला सहित तीनों मृतकों के सिर भी बरामद कर लिए थे.

क्या है मामला?

चंद्रदेव ने बताया कि झारखंड के गिरडी में मृत महिला कालिया का बेटा सुखदेव अपने नाम से गैंग चलता था. उसने बताया की सुखदेव की हत्या भी 2004 में झारखंड में ही कर दी गई थी. इसकी मौत के बादचंद्रदेव गैंग का लीडर बन गया. चंद्रदेव ने बताया कि लूट का रुपया सुखदेव की मां कालिया के पास रखा जाता था. 2003 में एक बड़ी वारदात को अंजाम दिया था, जिसकी रकम कालिया और केशव लेकर भाग गए और गाजियाबाद के शालीमार गार्डन एक्सटेंशन में रहने लगे. यहां केशव ने अपने मौसेरे भाई पवन के नाम पर एक फ्लैट भी खरीदा था. 

इसका पता चलने पर चंद्रदेव ने पवन को अपने साथ मिला लिया और उसकी मदद से 10 फरवरी 2004 की रात में कालिया, केशव और हरि की हत्या कर दी और सिर को धड़ से अलग कर दिया था ताकि शवों की पहचान न हो सके. बुधवार को मामले की अंतिम सुनवाई करते हुए SCST एक्ट कोर्ट के न्यायाधीश अरुण चन्द्र श्रीवास्तव ने चारों आरोपियों को निर्मम हत्या करने का दोषी पाया. कोर्ट ने आदेश में लिखा है कि इन चारों ने निर्मम हत्याएं की है। इन्हें समाज में खुले घूमने का अधिकार नहीं है. ये कठोरतम सजा के हकदार हैं.

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