जहरीले शराब के सेवन से 17 की मौत, 10 की हालत गंभीर

मालाड : मालाड के मालवणी में गुरुवार शाम जहरीली शराब पीने की वजह से 17 लोगों की जान चली गयी और 10 लोगो की हालत गंभीर बनी हुई है. पीडितो को अस्पताल में दाखिल करवाया गया है. मुंबई पुलिस के प्रवक्ता धनंजय कुलकर्णी ने इस मामले में जानकारी दी कि, 'बुधवार रात से गुरुवार शाम 7:30 बजे के बीच जहरीली शराब का सेवन करने के कारण  17 लोगों की जान चली गयी. 10 अन्य की हालत अभी गंभीर बनी हुई है. पीडितो को केईएम और शताब्दी अस्पताल में भर्ती करवाया गया. पुलिस ने इस मामले में अब तक राजू लंगड़ा नाम के एक शख्स को अपनी गिरफ्त में ले लिया है और पुलिस अन्य लोगो की तलाश में जूट गयी है. तीन लोगों की मौत प्राइम अस्पताल में हुई, पांच लोगों की मौत शताब्दी अस्पताल में हुई, चार लोगों की मौत बीएमसी अस्पताल में हुई, जबकि एक व्यक्ति की मौत सिद्धार्थ अस्पताल में हुई. 

जिम्मेदार कौन? इस घटना से एक गंभीर सवाल सामने आया है की आखिर इसका जिम्मेदार कोन ? इसका स्पष्ट  जवाब है- स्थानीय प्रशासन और देशी दारू का ठेका चलाने के ठेकेदार. गरीब और निम्न वर्गीय मजदूर इन्हीं कारखाना मालिकों द्वारा बनी जहरीली शराब खरीदते है और इसका सेवन करते है . इसे बनाने के लिए ही सड़े हुए गुड़, खतरनाक केमिकल, शक्कर, चना दाल और अन्य घातक चीजें का उपयोग किया जाता है. ये स्वास्थ पर विपरीत प्रभाव डालते है. 

एक शराब ठेके के मालिक ने कहा इसमें सिर्फ हम ही नहीं अपितु प्रशाशन भी बराबर का हिस्सेदार है. कारखाना मालिक ने नाम उजागर नहीं करते हुए यह जानकारी दी है की ये शराब ठेकेदार पुलिस स्टेशन के प्रभारी को इसके लिए अच्छी खासी धन राशि देते है. कारखाना मालिक ने कहा की "हम लोग फुटपाथ किनारे या झोपड़पट्टी में देशी शराब पिलाने का धंधा चलाते हैं. लेकिन प्रशाशन भी इसमें हमारा सहयोगी है. मजूदर और निम्न वर्गीय लोग आकर 20 से 35 रुपये प्रति लीटर में देशी दारू खरीद कर इसका सेवन करते है. 

एनबीटी ने पहले भी किया था आगाह  यही स्थिति गुरुवार को भी मालवणी के ल‌‌‌‌क्ष्मीनगर में देशी दारू के सेवन 17 लोगों की जान जाने के बाद भी बनी.  पूरे मामले में आलाधिकारी जल्द कार्रवाई का आश्वाशन दे रहे है, इस पर कोई कार्रवाई करते हुए देखा नहीं गया.  गुरुवार को राजस्व मंत्री एकनाथ खडसे ने भी स्थिति की जानकाारी लेने के लिए क्षेत्र का जायजा लिया और जल्द कार्रवाई की बात कही. 

इस पूरे मामले में एक गंभीर सवाल यह सामने आता है की दो माह पहले एनबीटी ने प्रमुखता से नैशनल पार्क और अन्य नजीदीकी इलाको में शराब की इन दुकानो का पर्दाफ़ाश किया था.  नैशनल पार्क ने इस अवैध गतिविध पर सिर्फ  कागजी खानापूर्ती करके मामला समाप्त कर दिया. इसी वजह से 13 निर्दोष लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी. जो नैशनल पार्क और जुरासिक में निर्मित शराब को सस्ते दामो में खरीदते है.

 

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