महिला दिवस विशेष : क्या असल में हम महिला दिवस सेलिब्रेट करने के हक़दार है?
महिला दिवस विशेष : क्या असल में हम महिला दिवस सेलिब्रेट करने के हक़दार है?
Share:

आज दुनिया भर में महिला दिवस मनाया जायेगा. लेकिन क्या सच में हम महिला दिवस को सेलिब्रेट करने के हक़दार है? मेरे नजरिये में बिलकुल नहीं. आप उस देश में महिला दिवस को सेलिब्रेट करने के बारे में सोच रहे है जहाँ हर 30 मिनट में एक महिला किसी वहशी दरिंदे की हवस का शिकार होती है.

हम अक्सर यौन उत्पीडन की घटनाओ के लिए उस पीड़ित महिला को जिम्मेदार मानते है. जो इज़्ज़त के साथ ही अपना गुरुर, मान-सम्मान, समाज में इज़्ज़त से रहने का हक़, सब कुछ खो चुकी है. इस सब से तो यही समझ आता है की उस महिला का ये समाज भी उतना ही दोषी है. जितने दुष्कर्म करने वाला वह वहशी दरिंदा.

गीता में भी कहा गया है 'जिस समाज में महिलाओ की इज़्ज़त नहीं होती, वह समाज कभी भी सभ्य नहीं कहलाता है' तो आप किस मुह से अपने देश, समाज, शहर, मोहल्ले को सभ्य होने का दर्ज़ा दे सकते है. कहते है हर महिला किसी न किसी की माँ, बहन, पत्नी, दोस्त आदि होती है. लेकिन हवस में इंसान ये सब भूल जाता है.

इसका जिम्मेदार और कोई नहीं, बल्कि आप है. आप ही इस दरिंदगी के असली गुनहगार है. बेशक हम महिलाओ की इज़्ज़त करने पर बड़े बड़े भाषण देते हो या तमाम सोशल मीडिया फाइट्स करते हो. लेकिन इस सब का वास्तव में हमारे लिए कोई महत्त्व नहीं है. ये सब हमारे लिए उस फिल्म की तरह है जो केवल 3 घंटे के एंटरटेनमेंट के अलावा कुछ नहीं है.

अब सबसे बड़ा सवाल, कहा से आते है ये वहशी दरिंदे जिनकी वजह से महिलाए खुद को असुरक्षित महसूस करती है. ये कोई हवा से उत्पन्न हुए एलियंस नहीं, बल्कि किसी महिला की कोख से जन्मे इंसान ही है. जो इंसानियत को भूल कर खुद को जन्म देने वाली उस माँ की कोख को भी शर्मसार करते है. जिसमे इन्होंने 9 महीने बिताएं थे.

इन लोगो को बढ़ावा देने वाले कोई और नहीं, बल्कि आप, में, हम सब है. हमारी ही बुजदिली का नतीजा है की इंसान के लिबास में छिपे इन जानवरो की हरकतें इतनी बढ़ जाती है की ये लोग हर चीज़ भूल कर ऐसी शर्मनाक हरकतों को अंजाम देते है.

इस सब की शुरुवात नुक्कड़, मोहल्ले और रास्तो पर महिलाओ के साथ होने वाली छेड़छाड़ से होती है. जो आगे चल कर ऐसी डरावनी और दिल दहला देने वाली घटनाओ में बदल जाती है. रास्तो पर मामूली छेड़छाड़ करने वाले ये लोग ही आगे चल कर इन घटनाओ को अंजाम देते है. और इन लोगो की हिम्मत बढ़ाने वाले हम सब है. हम में से हर एक, जो अपना मुह-आंखें सब बन्द कर बस मूकबधिर की तरह ताकता खड़ा रहता है.

तो अगर आप सच में महिला दिवस के इस ख़ास दिन को सही मायने में सेलिब्रेट करना चाहते है तो पहले अपनी आंखें और मुह खोलिये और आवाज़ उठाइये हर उस घटना के खिलाफ जिससे महिलाए खुद को असुरक्षित महसूस करती हो. तब ही देश में आपके शहर में आपके मोहल्ले में हर महिला खुद को सुरक्षित महसूस करेगी. सही मायनो में वह दिन हमारे लिए महिला दिवस होगा. तब तक हम बस उस दिन की अपेक्षा में कोशिश कर सकते है.

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -