कौए का क्या महत्व हैं हिन्दु धर्म में
कौए का क्या महत्व हैं हिन्दु धर्म में
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कौए का रहस्य :-

कौए को अतिथि आगमन का सूचक और पितरों का आश्रय स्थल माना जाता हैं. पुराणों की एक कथा के अनुसार इस पक्षी ने अमृत का स्वाद चख लिया था इसलिए मान्यता के अनुसार इस पक्षी की कभी स्वाभाविक मृत्यु नहीं होती. कोई बीमारी एवं बृद्धावस्था में भी उसकी मृत्यु नहीं होती हैं. इसकी मृत्यु आकस्मिक रूप से ही होती हैं. जिस दिन किसी कौए की मृत्यु हो जाती हैं उस दिन उसका कोई साथी भोजन नहीं करता हैं. कौआ अकेले में भी भोजन कभी नहीं खाता, वह किसी साथी के साथ ही मिलबांट कर भोजन ग्रहण करता हैं.

कौए की योग्यता :-

कौए को भविष्य में घटने वाली घटनाओं का पहले से ही आभास हो जाता हैं. श्राद पक्ष में कौओं का बहुत महत्व माना गया हैं. शास्त्रों के अनुसार कोई भी आत्मा कौए के शरीर में स्थित होकर विचरण कर सकती हैं.

कौए को भोजन करने का लाभ :-

भादों माह के 16 दिन यानि श्राद्ध पक्ष में कौआ हर घर की छत का मेहमान बनता हैं. कौए एवं पीपल को पितृ प्रतीक माना जाता हैं. बिष्णु पुराण के अनुसार इन दिनों में भक्ति और विनम्रता से कौए को खाना खिलाकर और पीपल को पानी पिलाकर पितरों को तृप्त किया जाता हैं.  

कौए के शगुन-अपशगुन  

* शनि को प्रसन्न करना हो तो कौओं को भोजन करना चाहिए.
* घर की मुंडेर पर या पश्चिम दिशा में कौवा बोले तो मेहमान जरूर आते हैं.
* कौवा घर की उत्तर दिशा में बोले तो घर में लक्ष्मी आती हैं.
* पूर्व दिशा में बोले तो शुभ समाचार आता हैं.
* दक्षिण दिशा में बोले तो बुरा समाचार आता हैं.

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