सोने का जिस्म और कांच की रूह - थेवा ज्वैलरी
सोने का जिस्म और कांच की रूह - थेवा ज्वैलरी
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थेवा कला का इतिहास 17 शताब्दी से पहले का बताया जाता है, और इसकी जड़े स्वर्ण चित्रकारी से जुडी हुई है . "थेवा" नाम इस कला के निर्माण की दो मुख्य प्रक्रियाओं थारना और वाड़ा से मिली है. कांच पर सोने की बहुत पतली वर्क या शीट लगाकर उस पर बारीक जाली बनाई जाती है, जिसे थारणा कहा जाता है.

कांच को कसने के लिए चांदी के बारीक तार से फ्रेम बनाया जाता है, जिसे वाडा कहा जाता है. फिर तेज़ आग में इसे पकाया जाता है . परिणाम स्वरुप शीशे पर सोने की डिजाइन निखर कर एक दिलकश और बेहतरीन आभूषण के रूप में उभर आती है.

थेवा आभूषण 23 कैरट शुद्धता के साथ रंगीन कांच का करवा लिये उम्दा कारीगरी का नायाब नमूना है . आइये देखे थेवा जेवेलरी के कुछ बैमिसाल कलाकृतियां .

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