तनाव के कारण किशोरों में बढ़ रही है आत्महत्या की प्रवृति
तनाव के कारण किशोरों में बढ़ रही है आत्महत्या की प्रवृति
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तनाव कभी-कभी इंसान को गलत कदम उठाने पर मजबूर कर देता है. आज सिर्फ व्यस्क ही नहीं बल्कि किशोर भी किसी न किसी कारण डिप्रेशन में रहने लगे हैं. अखबारों में हम अक्सर पड़ते हैं कि किशोर ने आत्महत्या की. इन सब के पीछे डिप्रेशन ही है जो इतने खतरनाक कदम लेने पर मजबूर कर देता है. एक नए अध्ययन के मुताबिक, बच्चों और किशोरों की आत्महत्या के विचार या क्रियाकलापों के लिए अस्पताल में भर्ती होने की संख्या लगभग एक दशक पहले की तुलना में बहुत अधिक हो गयी है। बाल चिकित्सा अकादमिक सोसाइटी बैठक में पेश किया गया अध्ययन 2008-2015 के बीच 32 अमेरिकी बच्चों के अस्पतालों के आंकड़ों पर आधारित था। उस अवधि में, 118,000 से अधिक अस्पताल के दौरे हुए थे, जिनके दौरान 5-17 वर्ष की आयु के बच्चों और किशोरों को आत्महत्या या आत्म-नुकसान के विचारों के साथ भर्ती कराया गया था।

शोधकर्ताओं का कहना है कि न केवल अध्ययन के दौरान कुल मिलाकर मुकाबले की तुलना में दोगुनी संख्या हुई बल्कि प्रत्येक आयु वर्ग में ऐसे मामलों की बढ़ोतरी हुई है। शोधकर्ता ग्रेगरी प्लेमोंस का मानना है कि इन खतरनाक प्रवृत्तियों में योगदान करने वाले कारकों को समझने के लिए तत्काल आवश्यकता है, "उन्होंने कहा कि बच्चों के अस्पतालों में कर्मचारियों के बीच जागरूकता बढ़ाना भी प्राथमिकता होना चाहिए। नेशनल सेंटर फॉर हेल्थ स्टैटिस्टिक्स द्वारा लिखित एक संक्षिप्त के अनुसार, आत्महत्या के मामले केवल 1999-2014 से किशोर और युवा वयस्कों के बीच सिर्फ बढ़े ही नहीं बल्कि इन आयु समूहों की मौत के प्रमुख कारणों में से भी एक था।

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