वैसे तो देश में नोटबंदी के कारण देश का हर व्य़ापार प्रभावित हुआ है। लोगों को नोटबंंदी की वजह से लोगों को बहुत दिकते भी हुई है। साथ ही गाड़ियों के व्यापार की बात की जाए तो सबसे ज्यादा मिनि ट्रक पर इसका प्रभाव पड़ा है। नवंबर 2016 के बाद से सबसे पॉपुलर व्हीकल्स की सेल्स में गिरावट दर्ज की गई है। यह भी बताया जा रहा है कि छोटे व्हीकल्स की सेल्स 2013 की अपेक्षा करीब 20 फीसदीस तक कम हो गया है। देश की सबसे बड़ी कमर्शियल व्हीकल्स फाइनेंस कंपनी श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस के एमडी उमेश रेवांकर ने बताया कि मौजूदा समय में कमर्शियल व्हीकल कंपनियां अपने पुराने मॉडल्स को क्लीयर करने का काम कर रही हैं। ऐसे में अगर देखा जाए तो जनवरी से मार्च तक उनकी सेल्स में वृध्दि नजर आ सकती है। हालांकि साल 2013 अब भी काफी पिछे है।
स्मॉल कमर्शियल व्हीकल्स सेगमेंट में केवल दो ही कंपनियों ने अपना कब्जा जमा रखा है। इसमें टाटा मोटर्स सबसे पहले पॉजिशन पर है। इसकी 72 फीसदी हिस्सेदारी है। और वहीं, महिंद्रा का मार्केट शेयर लगभग 24 फीसदी है। अप्रैल-दिसंबर 2016-17 में टाटा मोटर्स ने 60 हजार से ज्यादा व्हीकल्स बेचे जबकि महिंद्रा ने 20,436 व्हीकल्स ही बेचा है। इस सेगमेंट में महिंद्रा एंड महिंद्र और टाटा मोटर्स का कब्जा है। दोनों कंपनियों की कुल हिस्सेदारी 90 फीसदी से भी ज्यादा है।
उमेश रेवांकर ने बताया कि नोटबंदी के बाद से स्मॉल कमर्शियल व्हीकल्स की डिमांड हल्की पड़ गई है। आपको बता दे कि रूरल मार्केट में अधिकतर लेनदेन कैश में होता है और कैश की कमी होने से ट्रांजैक्शन कम हो रहे हैं। इस सेगमेंट में अभी कुछ महीनों तक वृध्दि होने की उम्मीद नहीं है। सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स के जारी आंकड़ों के आधार पर इस सेगमेंट में महिंद्रा एंड महिंद्रा के पॉपुलर व्हीकल्स मैक्सिमो और जीतो दोनों की सेल गिरी है। और अक्टूबर 2015 में कंपनी ने इन मॉडल्स के 3,630 यूनिट्स बेचे हैं जबकि दिसंबर 2016 में यह आंकड़ा 2,306 यूनिट्स का है।
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