वटवृक्ष पर चढ़ाऐं दूध की धार, प्रसन्न होंगे पितर
वटवृक्ष पर चढ़ाऐं दूध की धार, प्रसन्न होंगे पितर
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श्रद्धालु इन दिनों श्राद्ध के कर्म में व्यस्त हैं। वे अपने पितरों के मोक्ष के लिए और उन्हें प्रसन्न करने के लिए पिंडदान, तर्पण और अन्य श्राद्ध कर्म करने में लगे हैं। आज त्रयोदशी का श्राद्ध किया जा रहा है और गुरूवार को चतुर्दशी का श्राद्ध कर्म किया जाएगा। इस दौरान श्रद्धालु बड़े पैमाने पर पितृमोक्ष तीर्थों में दर्शन और पूजन आदि कर्म करेंगे। श्रद्धालुओं द्वारा पिंडदान, तर्पण और पूजन किया जाएगा तो दूसरी ओर ब्राह्मणों को जिमाया जाएगा। मगर यदि श्रद्धालु चतुर्दशी पर मध्यप्रदेश के उज्जैन शरह में स्थिति अतिप्राचीन सिद्धवट तीर्थ में पूजन, अर्चन, तर्पण कर्म करें या फिर सिद्धवट पर दूध की धार समर्पित करेंगे तो उनके पितरों की शांति होगी और पितरों को मोक्ष मिलेगा।

मान्यता है कि यहां पर पितृ मुक्ति के उपाय भी किए जाते हैं। बड़े पैमाने पर श्राद्ध पक्ष में श्रद्धालु यहां आते हैं और पितृ ऋण चुकाते हैं। यहां आने वाले श्रद्धालु श्राद्धपक्ष में अमावस्या और चतुर्दशी की तिथि पर वटवृक्ष पर दूध समर्पित करते हैं। गौरतलब है कि यह वटवृक्ष अक्षय है। इसकी जड़ ढूंढपाना बहुत मुश्किल है। दरअसल यह अतिप्राचीन है मान्यता है कि इसे माता पार्वती ने रोपा था। इस वटवृक्ष से जुड़ी एक सत्य बात यह है जिसे कई विद्वानों ने एकदम सही बताया है।

दरअसल मुस्लिम शास अपने शासनकाल में यहां आया और हरे-भरे वट वृक्ष को कटवाकर इसके तनों को तवों से बांध दिया लेकिन यह वट वृक्ष फिर हरा भरा हो गया। वट वृक्ष पर सात तवे बंधवा दिए गए थे। मगर यह आज भी हरा भरा है और श्रालुओं को यहां से आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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