चतुर्दशी और अमावस्या पर यहां करें श्राद्ध कर्म
चतुर्दशी और अमावस्या पर यहां करें श्राद्ध कर्म
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हिंदू मान्यताओं में पितरों की मुक्ति, शांति, और उत्तम गति के ही साथ मोक्ष की कामना के लिए श्राद्ध किया जाता है। श्राद्ध के माध्यम से पितरों की इच्छा पूर्ण कर उन्हें तृप्त किया जाता है। यही नहीं कौए, गाय, कुत्ते, ब्राह्मण और याचक को अन्न, सामग्री आदि का दान देकर माना जाता है कि हमने अपने पितरों को प्रसन्न कर दिया है। जिसके बाद हमारे जीवन में होने वाले अनिष्टों से मुक्ति मिल जाती है और हमारी सभी कामनाऐं पूर्ण हो जाती हैं। श्राद्ध को लेकर कहा जाता है कि जो श्रद्धा से किया जाए वह श्राद्ध है। श्राद्ध पक्ष इन दिनों मनाया जा रहा है ऐसे में अलग - अगल तिथियों में श्रद्धालु अपने पितरों की शांति के लिए श्राद्ध कर्म करते हैं।

मगर चतुर्दशी तिथि और अमावस्या तिथि जिसे सर्वपितृ दर्श अमावस्या के नाम से जाना जाता है इस दिन श्राद्ध कर्म करना या फिर मध्यप्रदेश के उज्जैन क्षेत्र में स्थित सिद्धवट तीर्थ में पूजन, तर्पण, पिंडदान और वट वृक्ष पर दूध अर्पित करना बेहद पुण्यदायी माना जाता है। इसके अलावा उज्जैन में ही मंगलनाथ मार्ग के समीप अति प्राचीन श्री गया कोठा क्षेत्र है। जहां पर ऋषि तलाई और भगवान विष्ण के चरण प्रतिष्ठापित हैं। मान्यता है कि भगवान विष्णु के ये चरण भगवान के विभिन्न अवतारों के परिचायक हैं इनका पूजन करने और यहां पर विष्णु चरणों पर दूध अर्पित करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

यदि आप को अपने पितरों की तिथि का ज्ञान न हो या पितर अज्ञात हों या आप आपके पितरों का श्राद्ध कर्म न कर पाए हों तो 29 सितंबर को आने वाली भाद्रपद कृष्ण पक्ष चतुर्दशी व 30 सितंबर को आने वाली भाद्रपद कृष्ण पक्ष अमावस्या पर इन दो पवित्र स्थानों पर पूजन करें। मान्यता है कि इन दिनों में इन क्षेत्रों में पूजन करने से सारी मनोकामनाऐं पूर्ण होती हैं।

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