मेयर पद के लेकर असमंजस जारी, बेनतीजा रही बीजेपी की बैठक
मेयर पद के लेकर असमंजस जारी, बेनतीजा रही बीजेपी की बैठक
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मुंबई : बीएमसी चुनाव में बड़ी कामयाबी हासिल करने के बाद बीजेपी और शिवसेना के बीच विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा. देर रात करीब 2 बजे तक मुंबई में बीजेपी कोर कमेटी की बैठक चली लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. बीएमसी में फंसे पेंच को दूर करने का कोई फॉर्मूला बना या नहीं यह अभी सामने नहीं आया है, लेकिन BMC के मौजूदा मेयर का कार्यकाल आठ मार्च को खत्म हो रहा है अर्थात 9 मार्च को मेयर का चुनाव होना है.

उल्लेखनीय है कि 114 के जादुई आंकड़े तक पहुंचने में शिवसेना और बीजेपी नाकामयाब रही हैं. बीएमसी चुनाव में शिवसेना ने 84 सीटें जीती, वहीं बीजेपी ने जीती 82, तीन निर्दलीय पार्षदों का समर्थन पाकर शिवसेना पहुंच गयी है 87 पर, जबकि एक निर्दलीय का समर्थन पाकर बीजेपी पहुंच गयी है 83 पर अर्थात अभी भी बहुमत से शिवसेना 27 और बीजेपी 31 सीट दूर है, दोनों हाथ मिला लें तो मुश्किल फौरन दूर हो जाएगी और मौजूदा हालात में आंकड़ा 170 हो जाएगा.

शिवसेना और बीजेपी दोनों के लिए विकल्प बेहद सीमित है, क्योंकि तीसरी सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस है और बीजेपी का उससे हाथ मिलाना बिल्कुल नामुमकिन है. वैसे भी मुंबई बीजेपी के अध्यक्ष आशीष शेलार नेस्पष्ट कह दिया है कि हम कांग्रेस के साथ गठबंधन का तो सवाल ही नहीं है, हम कांग्रेस के साथ नहीं जाएंगे.

दूसरी तरफ क्या शिव सेना बीएमसी की सत्ता हासिल करने के लिये कांग्रेस से मदद मांगेगी, क्योंकि BMC नतीजों के बाद कांग्रेस नेता नारायण राणे ने भी कह दिया है कि शिवसेना हमारी दुश्मन नहीं. अगर ऐसा हुआ तो शिवसेना के 87 और कांग्रेस के 31 मिलकर 118 हो जाते हैं. यानी  बहुमत से चार सीटें ज्यादा, लेकिन सवाल ये है कि क्या ऐसा होगा, हालांकि इसकी उम्मीद कम ही नज़र आ रही है क्योंकि शिवसेना के लिए कांग्रेस के साथ जाने से बेहतर विकल्प दुश्मनी भुलाकर बीजेपी से हाथ मिलाना हो सकता है, जिसके भी संकेत भी मिल रहे हैं.

जहाँ तक छोटी पार्टियों के साथ का सवाल है तो 3 सीटों वाली ओवैसी की पार्टी के बीजेपी और शिवसेना को समर्थन देने से मना करने के बाद 26 पार्षदों में से शेष सभी 23 सीटें शिवसेना या बीजेपी को भी चली जाती हैं तब भी बात नहीं बनने वाली, क्योंकि अगर शिवसेना के पास सभी 23 सीटें गयीं तब भी कुल संख्या 110 ही होगी, अगर सभी बीजेपी के पास गयी तब भी कुल संख्या 106 ही होती है, यानी दोनों ही हालत में 114 का जादुई आंकड़ा किसी को भी नहीं मिल पाएगा. इसलिए असमंजस बना हुआ है. लगता है अंततः शिव सेना-बीजेपी साथ आ जाएंगे.

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