संजा तू थारा घर जा, थारी माॅं मारेगी
संजा तू थारा घर जा, थारी माॅं मारेगी
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इंदौर : इंदौर समेत मालवा अंचल के विभिन्न क्षेत्रों में संजा का उत्सव मनाया जा रहा है। श्राद्ध पक्ष के पूरे सोलह दिनों तक कुंवारी कन्याओं द्वारा संजा का उत्सव मनाया जाता है और शाम होते ही संजा के गीत गाने का सिलसिला शुरू हो जाता है। संजा का लोक पर्व मनाने की परंपरा मालवा में लंबे समय से बनी हुई है तथा अभी भी इंदौर के पुराने मोहल्लों के साथ ही गांवों में संजा का पर्व उत्साह तथा उमंग के साथ मनाया जाता है।

संजा को दीवारों पर गाय के गोबर से बनाया जाता है और संजा के उपर रंगीन फूल पत्तियों को सजाकर शाम के समय पूजन आरती की जाती है। कुंवारी कन्याओं के अलावा विवाह होने के बाद युवतियां संजा पर्व का उद्यापन करने के लिये अपने मायके आती है। संजा का पर्व भले ही शहरों में अब कम मनाया जाने लगा है लेकिन गांवों में तो आज भी इसका उत्साह दिखाई देता है। वैसे अब बाजारों में भी कागजों पर बनी तैयार संजा मिलती है, जिसे दीवारों पर आसानी से चिपका दिया जाता है।

आईए देखते है संजा के मालवी भाषा के गीतों की बानगी

-संजा तू थारा घर जा, कि थारी माॅं मारेगी के कूटेगी कि

चांद गयो गुजरात, कि हीरणी का बड़ा बड़ा दांत।

-संजा की जी संजा के भेजो तो करां

संजा की आरती रई रमजो, रई रमजो।

-अब तो जाओ संजा बई सासरे, हम तो नी जावा दादाजी सासरे

तमारा सासरा से हत्थी भी आयो, घोड़ो भी आयो, पालकी भी अई।

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