मनुष्य बनाने का फार्मूला है रामकथा
मनुष्य बनाने का फार्मूला है रामकथा
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रावण को निर्वाण देने के बाद राम, लक्ष्मण, सीता के साथ ही विभीषण सहित वानर, भालू सभी विमान से अयोध्या पहुंचे। लेकिन जब वे विमान से उतरे तो कोई असुर, वानर, भालू के रूप में नहीं सभी मनुष्य रूप में उतरे। इसलिए रामकथा मनुष्य बनाने का फार्मूला है।प्रेम और भक्ति जिसके पास होती है, उसके पास दुख नहीं आ सकते। प्रेम हमारी दिशा बदलता है, और भक्ति दशा बदल देती है। मनुष्य को चाहिए कि वह यज्ञ, दान व तप जरूर करे। उन्होंने इन तीनों की महिमा बताई। उन्होंने इसके आध्यातिमक व सांकेतिक पहलू पर प्रकाश डाला।

यज्ञ से बुद्धि शुद्घ होती है। यज्ञ का अर्थ है कि आपके विचार सकारात्मक हों, आप भूखे को खाना खिलाएं, गरीब बालक की स्कूल फीस जमा करा दें, सदैव सत्य बोलें। यह भी एक प्रकार का यज्ञ है। दान भी करें। दान परोपकार के रूप में भी होता है। लोगों से मीठा बोलें, हर संभव मदद के लिए तत्पर रहें। सहनशीलता बनाए रखें। यह भी तप है।  वनवास के दौरान राम ने कई आसुरी शक्तियों को निर्वाण दिया। सीता का हरण होने के बाद हनुमान, सुग्रीव, अंगद जैसे योद्धा रामकाज के लिए उनसे जुड़े।

सीता का पता लगने के बाद लंका कूच करने के लिए समुद्र के किनारे पहुंचे। रामेश्वरम की पूजा करने के साथ ही तीन दिन तक प्रतीक्षा करने के बाद भी सागर की ओर से कोई पहल नहीं हुई तो राम ने उसका अहं तोड़ने का इरादा किया। इस बात को भांपते हुए घबराया समुद्र शरणागत हो गया। उसने सेतु बनाने का सुझाव दिया। यहां राम की सबको जोड़ने की विचारधारा का परिचय मिलता है। लंका पर चढ़ाई कर राम ने 31 बाण चढ़ाकर रावण को निर्वाण दिया।

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