पंजाब में किसकी जीत
पंजाब में किसकी जीत
Share:

कोहरे से ढंकी सर्द सुबह हरे भरे खेतों और नहरों के पास बने मकानों में यदि आपका ठहरना हो जाए तो फिर सरसों का साग और मक्के की रोटी का सेवन आप कभी नहीं भूलेंगे। जी हां, पंजाब पंजाबियों की जिंदादिली, खुशहाली और समृद्धि व वीरता के लिए तो जाना जाता है। यहां से आने वाली गुरूबाणी की आवाज भी लोगों के कानों में मीठा रस घोल देती हैं।

इन दिनों यहां पर एक अलग शोर मच रहा है। कहीं आतंकवाद की बात हो रही है तो कहीं युवाओं को नशाखोरी की ओर धकेलने के लिए नेता एक दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। यहां पर आम आदमी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी व अकाली दल गठबंधन, कांग्रेस समेत कई दल चुनावी मैदान में हैं। सभी दलों के अपने अपने मसले हैं। जहां भाजपा इस राज्य को कथित आतंकवाद से राहत और पर्यटन विकास के ही साथ खेती किसानी के विकास को लेकर मैदान में है

तो आम आदमी पार्टी राज्य में बढ़ती नशाखोरी, भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ बुलंद कर रही है। कांग्रेस लोगों से बदलाव की बात करते हुए अपने लिए अवसर मांग रही है। कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि इस क्षेत्र में वर्षों से काबिज भाजपा अकालीगठबंधन सरकार विकास के मायने में तो कुछ नहीं कर पाई लेकिन यहां पर आतंकवाद और नशाखोरी भी बढ़ी। अब सभी दल एक दूसरे से राजनीति की रस्सकशी करने में लगे हैं।

पंजाब में कांग्रेस 9 मसले लेकर आई है लेकिन भाजपा विकास की बात कर रही है। कुछ क्षेत्रों में चुनाव प्रत्याशियों के चेहरे पर टिका हुआ है। गौरतलब है कि गुरदासपुर, पठानकोट जैसे क्षेत्रों में आतंकी घुसपैठ बढ़ने के बाद आतंकवाद की घटनाओं पर सरकार लगाम नहीं लगा पाई तो इसकी जांच की गति धीमी होने और पाकिस्तान पर कथित तौर पर अपेक्षाकृत दबाव नहीं बना पाने के कारण कुछ मुश्किल हो सकती है।

दूसरी ओर पंजाब राज्य में गुरू ग्रंथ साहिब की बेअदबी का मामला भी जमकर उछला हालांकि सरकार ने इसे कुछ समय बाद नियंत्रित कर लिया तो दूसरी ओर कथित तौर पर सरबत खालसा गुट फिर अपने पांव जमाने लगा। इस तरह के प्रयासों से सरकार को कुछ मुश्किल हुई और चुनावी दौर में भी इस तरह के उग्र मत वाले गुटों से भाजपा अकाली गठबंधन को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।

तो आम आदमी पार्टी पंजाब में अपने कार्यकर्ताओं की कमजोरी से परेशान है। पंजाब में भी केजरीवाल ही पार्टी के लिए चेहरा बने हुए हैं कांग्रेस ने सिद्धू को जरूर अपने साथ लिया है। इसका पलड़ा अन्य दलों की तुलना में भारी भी है लेकिन लगभग हर जगह कांग्रेस से लोगों का मोह भंग होने के कारण यह बता पाना बेहद मुश्किल है कि उंट किस करवट बैठेगा।

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -