Jun 14 2016 06:20 AM
प्रदूषण आपकी त्वचा के लिए तो खतरनाक होता ही है साथ ही आपकी आंखों के लिए भी काफी खतरनाक होता है. कॉर्निया, पलकों, सिलेरिया और यहां तक कि लेंस पर भी पर्यावरण का असर होता है.
बढ़ते तापमान और पर्यावरण के चक्र में आते बदलाव के चलते क्षेत्र में हवा खुश्क हो रही है. इस वजह से आंखें में ज्यादा खुश्की आ रही है, जिसके चलते आंसू नहीं बनते या बहुत जल्दी सूख जाते हैं. वायु प्रदूषण लंबे समय से सांस प्रणाली की समस्याओं का कारण बन रहा है.
लकड़ी या कोयले जलते समय उसके संपर्क में आने से विकासशील देशों में ट्रोचमा की वजह से आंखों में जख्म हो जाते हैं. उम्रभर संक्रमण होने से पलकों के अंदर जख्म हो सकते हैं, जिससे पलकें अंदर की ओर मुड़ जाती हैं और कोर्निया से रगड़ खाने लगती हैं और क्षति पहुंचा देती हैं.
सूर्य की खतरनाक किरणों के लगातार संपर्क में आने से आंखों के लेंस के प्रोटीन की व्यवस्था बिगड़ सकती है और लेन्ज एपिथीलियम को क्षति पहुंच सकता है, जिससे लेंस धुंधला हो जाता है.
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