Mar 30 2017 12:30 AM
नवरात्रो के पहले दिन माँ दुर्गा के प्रथम रूप माँ शैलपुत्री की पूजा की जाती है.माँ शैलपुत्री का जन्म शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में हुआ था. इसीलिए इनका नाम शैलपुत्री पड़ा.
माँ शैलपुत्री को पार्बती तथा हेमवती भी कहा जाता है. माँ शैलपुत्री वृषभ पर सवार होती. ये अपने दाए हाथ में त्रिशूल धारण करती है और उनके बाये हाथ में कमल शोभायमान रहता है. नवरात्र के प्रथम दिन इनकी पूजा करके साधू महात्मा अपने मन को मूलाधार चक्र में स्थित करते हैं.
माँ शैलपुत्री की पूजा के दौरान इस मंत्र का जाप करना चाहिए.
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्.
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम
माँ शैलपुत्री की पूजा में माँ को गाय के घी का प्रसाद चढ़ाना चाहिए. और फिर बाद में ये घी किसी ब्राम्हण को दान में दे देना चाहिए.
ऐसा माना जाता है की अगर कोई सच्चे मन से माँ शैल पुत्री की उपासना करता है तो वह सभी बीमारियों से मुक्त रहता है.
नवरात्री में इन तरीको से करे माँ दुर्गा की पूजा
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