एनडीए - जहां होती है जांबाज सपूतों की फ़ौज तैयार : राष्ट्रीय रक्षा दिवस विशेष
एनडीए - जहां होती है जांबाज सपूतों की फ़ौज तैयार : राष्ट्रीय रक्षा दिवस विशेष
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आजकल युवा हर फील्ड में देश का नाम रोशन करते नजर आ रहे है। स्पोर्ट्स, साइंस, टेक्नोलॉजी जैसी फील्ड में इन्होंने एक तरह से अपना वर्चस्व कायम कर दिया है। हाल ही में इसरो ने सिंगल फ्लाइट में 104 सेटेलाइट छोड़ कर एक बार तो चीन जैसी देश के माथे पर शिकन ला दी और उन्हें सोचने पर मजबूर कर दिया कि भारत को किसी भी मामले में कम आंकने की गलती नहीं करनी चाहिए। हमारा देश बहुत लंबे समय से पाकिस्तान जैसे पड़ौसी मुल्क द्वारा फैलाये जा रहे आतंकवाद से ग्रसित है लेकिन हाल ही में हुए सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भारतीय सेना ने पाकिस्तान को साफ़ सन्देश दे दिया कि हमारी अच्छाई को हमारी कमजोरी समझना उनकी भूल है और जब पानी सिर से गुजर जाता है तो हम उनके घर के अंदर घुस कर उन्हें सबक सिखाने से भी पीछे नहीं रहते हैं।

भारतीय सेना विश्व के सर्वश्रेष्ठ सेना में से एक मानी जाती है और इसकी सफलता के पीछे सबसे बड़ा हाथ राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) का है। राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में जल, थल और वायु सेना के कैडेट्स को कड़ा प्रशिक्षण दिया जाता है। एनडीए का मुख्यालय पुणे के पास खड़कवासला में स्थित है और यह विश्व की पहली ऐसी अकादमी है जिसमे सेना के तीनो अंगों को प्रशिक्षण दिया जाता है। इसे विश्व में सर्वश्रेष्ठ अकादमी के रूप में जाना जाता है. इस अकादमी से निकले कैडेट्स ने हमेशा अपने देश की रक्षा के लिए सबसे आगे रहकर मातृभूमि की सेवा की है। यहाँ से निकले कैडेट्स 3 परमवीर चक्र और 9 अशोक चक्र से सम्मानित हो चुके हैं।

आज 3 मार्च को हम नेशनल डिफेंस डे के रूप में मनाते है। वैलेंटाइन्स जैसे दिनों को अच्छी तरह से याद रखने वाली पीढ़ी को शायद यह तारीख याद ही न हो क्योंकि शायद वो यह नहीं जानते हैं कि एक सैनिक सरहद पर उनकी सुरक्षा के लिए ही खड़ा है। यह सैनिक ही है जिसकी वजह से हमारा देश बाहरी ताकतों से महफूज रहता है और हम बिना किसी खौफ के सो पाते है। अगर किसी सैनिक की ज़िन्दगी के बारे में समझना हो तो एक शायर की चंद पंक्तियों में ही आसानी से समझा जा सकता है।

किसी गजरे की खुशबू को महकता छोड़ के आया हूँ,

मेरी नन्ही सी चिड़िया को चहकता छोड़ के आया हूँ,

मुझे छाती से अपनी तू लगा लेना ऐ भारत माँ,

मैं अपनी माँ की बाहों को तरसता छोड़ के आया हूँ।

इतिहास के झरोखे से राष्ट्रीय रक्षा अकादमी

1941 में सूडान की सरकार की तरफ से द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान पूर्वी अफ्रीकी अभियान में सूडान की आजादी के लिए भारतीय सैनिकों के बलिदान को याद रखने के लिए एक युद्ध स्मारक बनाने हेतु भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल लार्ड लिन्लिथगोव को £100,000 की राशि प्रदान की थी। युद्ध समाप्त होने पर भारतीय सेना के तत्कालीन कमांडर-इन-चीफ फील्ड मार्शल क्लाउड ओकिनलेक ने युद्ध के दौरान सेना के अनुभवों को को ध्यान में रखते है एक कमेटी का गठन किया जिसने दुनिया भर की विभिन्न सैन्य अकादमियों का अध्ययन किया और दिसम्बर 1946 में भारत सरकार को एक रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसमे समिति ने संयुक्त राज्य अमेरिका सैन्य अकादमी की तर्ज पर एक संयुक्त सेवा सैन्य अकादमी की स्थापना की सिफारिश की।

1947 में भारत के आजाद होने के बाद स्टाफ कमेटी के प्रमुखों ने ओकिनलेक रिपोर्ट की सिफारिशों को तुरंत प्रभाव से लागू किया जिसके बाद एक स्थायी रक्षा अकादमी शुरू करने के लिए उचित स्थान की तलाश शुरू हो गयी। समिति ने एक अंतरिम प्रशिक्षण अकादमी की स्थापना करने का निर्णय लिया जिसे जॉइंट सर्विसेस विंग (जेएसडब्ल्यू) के नाम से जाना गया और जो अब भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून के नाम से जानी जाती है। जेएसडब्ल्यू में प्रशिक्षण लेने के दो साल बाद कैडेटों को पूर्व कमीशन प्रशिक्षण के लिए दो साल तक भारतीय सैन्य अकादमी की मिलिट्री विंग में भेजा जाता था जबकि नौसेना और वायु सेना के कैडेटों को आगे के प्रशिक्षण के लिए यूनाइटेड किंगडम में डार्टमाउथ और क्रेनवेल भेजा जाता था।

भारत के विभाजन के बाद सूडान की सरकार की तरफ से उपहार स्वरूप दी गयी राशि में से £30,000 पाकिस्तान के हिस्से में चले गए और भारत का हिस्सा £70,000 रह गया था। भारतीय सेना ने इन निधियों का उपयोग करने के लिए आंशिक रूप से एनडीए के निर्माण की लागत को कवर करने का फैसला किया। 6 अक्टूबर को 1949 को भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा इस अकादमी की आधारशीला रखी गयी। 7 दिसम्बर 1954 को औपचारिक रूप से राष्ट्रीय रक्षा अकादमी को कमिशन किया गया और 16 जनवरी 1955 को इसका विधिवत उद्घाटन किया गया।

अंत में बस इतना ही कहना चाहूंगा की इस अकादमी ने भारत माँ की रक्षा करने वाले एक से एक वीर सपूत इस देश को दिए हैं और इसके पीछे जिन लोगों की भी मेहनत है उनके प्रति जितना सम्मान प्रकट किया जाए उतना कम है। भारत की रक्षा के लिए जांबाजों को प्रशिक्षण देने वाली इस अकादमी और देश के लिए मर मिटने को हमेशा तैयार रहने वाले जवानों को न्यूजट्रैक का सलाम।

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