ख़त्म हुआ शिवराज का अनशन, विजयवर्गीय बोले- CM के पैर धोकर पीना चाहते किसान
ख़त्म हुआ शिवराज का अनशन, विजयवर्गीय बोले- CM के पैर धोकर पीना चाहते किसान
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इंदौर : किसान आंदोलन के दौरान भड़की हिंसा के बाद प्रदेश की शांति बहाली के लिए अनिश्चितकालीन उपवास पर बैठे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज रविवार दोपहर करीब 2 बजे अपना उपवास तोड़ ख़त्म कर दिया. पूर्व सीएम कैलाश जोशी ने जूस पिलाकर शिवराज का उपवास ख़त्म करवाया. वही दूसरी और बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव और मध्य प्रदेश के बड़े नेता कैलाश विजयवर्गीय का आपत्तिजनक बयान सामने आया है. विजयवर्गीय ने कहा कि किसान उस पानी को पीना चाहते हैं, जिससे शिवराज पैर धोते हैं.

उधर प्रदेश में अभी भी किसानो का गुस्सा जारी है. किसानो ने प्रदेशभर में चक्काजाम और जेल भरो आंदोलन की चेतावनी दी है. मंदसौर में काफी हद तक हालात सामान्य हो रहे है. प्रशासन ने सुबह 8 से शाम 8 बजे तक कर्फ्यू में छोट दी है. वही कांग्रेस ने शिवराज के उपवास को नौटंकी बताया है. गौरतलब है कि मंदसौर हिंसा में मारे गए 4 किसानो के परिजनों ने शिवराज से मुलाकात कर उपवास ख़त्म करने की अपील की थी. जिसके बाद सीएम चौहान ने आज अपना अनशन ख़त्म कर दिया.

शिवराज ने कल उपवास पर बैठने के दौरान एलान किया था कि जब तक प्रदेश में हिंसा ख़त्म नहीं हो जाती और शांति नहीं हो जाती तब तक वे अपना उपवास ख़त्म नहीं करेंगे. शिवराज ने उपवास के दौरान मंदसौर गोलीकांड में मारे गए 4 किसानों के परिजनों को भरोसा दिलाया कि दोषियों को सख्त सज़ा दी जाएगी. जनता को संबोधित करते हुए चौहान ने कहा कि- मेरी हर सांस राज्य की जनता के लिए है. बिना किसान के प्रदेश आगे नहीं बढ़ सकता है. उन्होंने किसानों को समस्याओं पर चर्चा के लिए खुला निमंत्रण दिया है. शिवराज ने कहा, जब-जब प्रदेश में किसानों पर संकट आया, मैं सीएम आवास से निकलकर उनके बीच आया हूँ. नए आयोग का गठन किया गया है जो फसलों की सही कीमत तय करेगा. हम किसानों को सही कीमत दिलाएंगे.

शिवराज ने कहा- प्रदेश में आग न लगाएं, चर्चा के लिए आएं. हम चर्चा करने के लिए बैठे है. शिवराज ने कहा, प्रदेश में हर वर्ग का कल्याण हो, हमारा एक ही लक्ष्य रहा है- प्रदेश का विकास. प्रदेश को आगे बढ़ाना है तो खेती को आगे बढ़ाना है. मुख्यमंत्री बना तो साढ़े सात लाख हेक्टेयर में सिंचाई होती थी, अब ये रकबा 40 लाख हेक्टेयर तक बढ़ चुका है. खेतों में पानी पहुंचाने में हमने कोई कसर नहीं छोड़ी. हमने 18% कर्ज घटाकर 0% कर दिया. 10% पर लोन दिया. जब जब संकट की घड़ी आई, मैं कभी सीएम आवास पर नहीं बैठा, खेतों में गया. किसानों को पर्याप्त राहत देने की कोशिश की. पिछले साल सोयाबीन की फसल खराब हुई थी, हमने 4800 करोड़ का मुआवजा दिया. मालवा को रेगिस्तान बनने से हमारी सरकार ने बचाया है. हमने नर्मदा ले जाकर ये सुनिश्चित किया कि मालवा रेगिस्तान ना बने.

इस साल बंपर फसल आई है. जब उत्पादन बंपर होता है तो कीमत गिरती है. इससे किसान को नुकसान होता है. इससे किसान को तकलीफ होती है. इसलिए हमने फैसला किया कि पूरा प्याज 8 रुपए किलो खरीदा जाएगा. किसान की मेहनत और परिश्रम को बेकार नहीं जाने दिया जाएगा. किसान को लाभकारी मूल्य देने में मध्यप्रदेश सरकार कोई कसर नहीं छोड़ेगी. किसान की मर्जी के बिना किसान की जमीन नहीं ली जाएगी. चेक पेमेंट में परेशानी आई तो किसान चेक लेकर घूमता रहा. हमने फैसला किया कि आरटीजीएस से पेमेंट किया जाएगा.

सही कीमत देने के लिए मूल्य स्थिरीकरण कोष बना रहे हैं. इसके लिए 1 हजार करोड़ का कोष बनाया जा रहा है. एक बड़ी विसंगति है कि किसान बेचता है तो सस्ता बिकता है। उपभोक्ता को महंगा मिलता है. मेरी कोशिश रहेगी कि 8% आढ़त को घटाकर 2% किया जाए. भविष्य में हम ये कोशिश करेंगे कि किसान और उपभोक्ता के बीच कोई बिचौलिया ना रहे जिससे किसान को उसकी फसल का उचित मूल्य मिल सके. शिवराज ने कहा, आंदोलन तब जायज है जब सरकार ना सुने. जब मुख्यमंत्री कह रहा है कि आइए चर्चा करेंगे. चर्चा करके समाधान निकालेंगे. तो किसान चर्चा के लिए आएं.

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