आधुनिक युग की तरफ बढ़ते कदम के साथ साथ ही कृषि भी काफी आधुनिक हो चुकी है। नयी मशीनो से अब खेती करना काफी आसान हो गया है। जहां पहले हल और बेल के द्वारा खेतों की जुताई होती थी अब वहां पर ट्रेक्टरो ने जगह लेली है। जिससे खेती करना आसान हो गया औस समय भी काफी कम लगाता है। ट्रेक्टर के साथ साथ और भी काफी ऐसी मशीने है जिससे खेती काफी आसान हो जाती है। एग्रीकल्चर सेक्टर में बदलते स्टैण्डर्ड से ट्रैक्टर सेगमेंट में एक नया सेगमेंट उभर कर खड़ा हो रहा है।
कंपनियों के अनुसार छोटी जोत और बदलते खेती के तरीकों की वजह से स्मॉल ट्रैक्टर की तेजी से डिमांड बढ़ रही है। इस सेगमेंट की बड़ी कंपनियों जैसे महिंद्रा, एस्कॉटर्ट और कैपटन ट्रैक्टीर्स को उम्मीगद है कि इस साल बेहतर मानसून को देखते हुए किसानों की ओर से स्मॉल ट्रैक्टमर की सेल्सह में ज्यादा बढ़ोतरी की उम्मीद है।
बढ़ रही है डिमांड-
मिनी ट्रैक्टंर का मार्केट भारत के दूसरे हिस्सें में भी बढ़ रही है। मिनी ट्रैक्ट र का इस्तेटमाल अब केवल एग्रीकल्चूर प्रोडक्ट्स में ही नहीं बल्किक कार्गो और बिल्डिंसग मैटिरियल के लिए भी होने लगा है। मिनी ट्रैक्ट र की एक और खासियत है कि वह पतली सड़कों पर चल सकता है साथ ही यह तेजी से सामान को भी एक जगह से दूसरी जगह पर लेकर जा सकता है। यही वजह है कि इसकी डिमांड तेजी से बढ़ रही है।
मार्च तक 30 हजार मिनी ट्रैक्ट र बिक सकते हैं-
भारत में ट्रैक्ट3र मार्केट करीब 5 लाख यूनिट्स (सेल्सक के हिसाब से) सालाना है जिसमें से स्मॉल ट्रैक्टटर सेगमेंट की हिस्सेदारी करीब 4 फीसदी है। ट्रैक्टकर इंडस्ट्री का मानना है कि मार्च 2017 तक यह सेल्सि 6 लाख यूनिट्स हो जाएगी। वहीं,अच्छेस मानसून के दम पर स्मॉल ट्रैक्टेर सेगमेंट की सेल्स्। करीब 30 हजार यूनिट्स रह सकती है।
ट्रैक्टार की बिक्री में इजाफा-
नोटबंदी के बाद भी ट्रैक्टर की सेल्स में इजाफा दर्ज किया गया है। महिंद्रा और एस्कॉर्ट की सेल्स जनवरीमाह में बढ़ी है। जारी आंकड़ों के मुताबिक, महिंद्रा की ट्रैक्टर सेल्स में 6 फीसदी की ग्रोथ देखने को मिलीजबकि उनकी डोमेस्टिक कार सेल्स 11 फीसदी गिरी थी। वहीं, एस्कॉर्ट की ट्रैक्टर सेल्स में इसी अवधि के दौरान 16 फीसदी की ग्रोथ दर्ज की गई है।