मूवी रिव्यू: स्त्री के दबे ख्वाबों को बाहर लाने की कहानी है 'लिपस्टिक अंडर माय बुर्का'
मूवी रिव्यू: स्त्री के दबे ख्वाबों को बाहर लाने की कहानी है 'लिपस्टिक अंडर माय बुर्का'
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फिल्म---लिपस्टिक अंडर माय बुर्का
क्रिटिक रेटिंग---3 /5
स्टार कास्ट---रत्ना पाठक शाह, प्लाभिता बोरठाकुर, कोंकणा सेन शर्मा, अहाना कुमरा, सुशांत सिंह, विक्रांत मास्सी, शशांक अरोड़ा
डायरेक्टर---अलंकृता श्रीवास्तव
प्रोड्यूसर---प्रकाश झा, एकता कपूर
म्यूजिक---जुबांनिसा बंगश
जॉनर---ड्रामा

बॉलीवुड के चर्चित निर्देशकों में शुमार हम बात कर रहे है प्रकाश झा के बारे में जिनकी विवादित व बहुत समय से चर्चाओं में चल रही फिल्म 'लिपस्टिक अंडर माय बुर्का' जो के आज देशभर के सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है. जी हां देखा जाए तो 'टर्निंग-30' के बाद अलंकृता श्रीवास्तव ने यह फिल्म डायरेक्ट की है जो कई कॉन्ट्रोवर्सी के बाद रिलीज होने के लिए तैयार है.  

कहानी:
अगर बात करे हम फिल्म की कहानी के बारे में तो जनाब बता दे कि यह कहानी बुआ जी उर्फ ऊषा 'रत्ना पाठक शाह', लीला 'अहाना कुमरा', शिरीन 'कोंकणा सेन शर्मा' और रिहाना 'प्लाभिता' की है. यह सभी एक ही क्षेत्र में रहती है जो भोपाल के एक मोहल्ले में रहते हैं. बुआ जी को रोमांटिक उपन्यास पढ़ने का शौक है, लीला का सपना है कि वो फोटोग्राफर अरशद 'विक्रांत मास्सी' के साथ शहर छोड़कर दिल्ली भाग जाए'. शिरीन अपने पति (सुशांत सिंह) और तीन बच्चों के साथ एक बंधी-बंधी जिंदगी गुजारती है लेकिन बिना बताए सेल्स वूमेन का काम करती है. वहीं बहुत सारी पाबंदियों के बावजूद रिहाना, अंग्रेजी गानों की दीवानी है और घर से निकलते ही वो अपनी ही दुनिया में चली जाती है. इन चारों महिलाओं की जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव आते हैं और अंत में फिल्म को एक अंजाम मिलता है जिसका पता आपको थिएटर तक जाकर ही चल पाता है.

डायरेक्शन:
फिल्म के निर्देशन के बारे में अगर बात की जाए तो जनाब बता दे कि, फिल्म का डायरेक्शन बहुत ही उम्दा है और एक साधारण कहानी को बड़े ही बेहतरीन अंदाज में अलंकृता ने पेश किया है. सिनेमेटोग्राफी, कैमरा वर्क और बैकग्राउंड कमाल का है. फिल्म की कहानी काफी साधारण है लेकिन प्रभावित करने वाली है जो कि लोगों की सोच का नजरिया बदल पाने में सक्षम है.

स्टारकास्ट की परफॉर्मेंस:
फिल्म में सभी कलाकारों के अभिनय के बारे में बात करे तो फिल्म में हर किरदार ने अपनी-अपनी ओर से शानदार अभिनय को अंजाम दिया है. रत्ना पाठक की अदाकारी बहुत ही कमाल की है जो हंसाने के साथ-साथ आपको सोचने पर भी मजबूर करती है. वहीं कोंकणा सेन शर्मा, अहाना कुमरा और प्लाभिता ने भी उम्दा काम किया है. सुशांत सिंह और विक्रांत मासी की एक्टिंग भी बेहतरीन है जो किरदार और कहानी के संग-संग जाती है.

म्यूजिक:
फिल्म का म्यूजिक भी ठीक-ठाक है.

देखें या नहीं:
अगर आप शानदार अदाकारी के साथ-साथ आंखें खोल देने वाली फिल्म देखना पसंद करते हैं तो जरूर देख सकते हैं.

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