जानिए क्या होती है आरती उतारने की सही विधि
जानिए क्या होती है आरती उतारने की सही विधि
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बिना आरती के पूजा को संपन्न नहीं माना जाता. मंदिरों में सुबह सवेरे द्वार खुलने के साथ ही लोग आरती में शामिल होने के लिये पंहुचते हैं. रात्रि के समय भी आरती के बाद ही मंदिरों के पट बंद भी होते हैं.जो लोग अज्ञानतावश पूजा की विधियों से अंजान होते हैं वह भी अपने आराध्य की आरती तो उतार ही लेते हैं. लेकिन आरती उतारने की भी अपनी एक खास विधि होती है जिसका अपना महत्व है 

आइये आपको बताते हैं आरती के महत्व के बारे में और जानते हैं कैसे करनी चाहिये आरती? 

आमतौर पर आरती पांच बातियों से की जाती है जिस कारण इसे पंचप्रदीप भी कहा जाता है. हालांकि यह जरुरी नहीं है एक, सात या उससे अधिक बत्तियों से भी आरती उतारी जा सकती है.

आरती करने के लिये चांदी, पीतल या फिर तांबे की थाली का इस्तेमाल किया जाता है. इस थाली में धातु या आटे से बना दीपक रखा जाता है. उसमें घी या तेल डालकर रूई की बत्तियों को बनाकर रखा जाता है. यदि रूई की बत्ती उपलब्ध न हो तो कपूर से भी काम चलाया जा सकता है. थाली में थोड़े फूल, अक्षत एवं मिठाइयां भी रखनी चाहिये. हालांकि बहुत सारे मंदिरों में पुजारी केवल घी का दीपक जलाकर ही आरती करते हैं. आरती करते समय परिवार के सभी सदस्य यदि साथ में हों तो बहुत अच्छा रहता है. आरती प्रात: एवं सांयकाल दोनों समय करनी चाहिये.

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