शास्त्रों के मुताबिक मंत्रों का जप पूरी श्रद्धा और आस्था से करना चाहिए. साथ ही, एकाग्रता और मन का संयम मंत्रों के जप के लिए बहुत जरुरी है. माना जाता है कि इनके बिना मंत्रों की शक्ति कम हो जाती है और कामना पूर्ति या लक्ष्य प्राप्ति में उनका प्रभाव नहीं होता है.
1-मंत्र जप के लिए सही वक्त भी बहुत जरूरी है. इसके लिए ब्रह्ममूर्हुत यानी तकरीबन 4 से 5 बजे या सूर्योदय से पहले का समय श्रेष्ठ माना जाता है. प्रदोष काल यानी दिन का ढलना और रात्रि के आगमन का समय भी मंत्र जप के लिए उचित माना गया है.
2-अगर यह वक्त भी साध न पाएं तो सोने से पहले का समय भी चुना जा सकता है.
3-मंत्र जप प्रतिदिन नियत समय पर ही करें.
4-एक बार मंत्र जप शुरु करने के बाद बार-बार स्थान न बदलें. एक स्थान नियत कर लें.
5-मंत्र जप में तुलसी, रुद्राक्ष, चंदन या स्फटिक की 108 दानों की माला का उपयोग करें. यह प्रभावकारी मानी गई है.
6-किसी विशेष जप के संकल्प लेने के बाद निरंतर उसी मंत्र का जप करना चाहिए.
7-मंत्र जप के लिए कच्ची जमीन, लकड़ी की चौकी, सूती या चटाई अथवा चटाई के आसन पर बैठना श्रेष्ठ है. सिंथेटिक आसन पर बैठकर मंत्र जप से बचें.
8-मंत्र जप दिन में करें तो अपना मुंह पूर्व या उत्तर दिशा में रखें और अगर रात्रि में कर रहे हैं तो मुंह उत्तर दिशा में रखें.
9-मंत्र जप के लिए एकांत और शांत स्थान चुनें. जैसे- कोई मंदिर या घर का देवालय.
10-मंत्रों का उच्चारण करते समय यथासंभव माला दूसरों को न दिखाएं. अपने सिर को भी कपड़े से ढंकना चाहिए.
तंत्र शास्त्र से आ सकती है सुख और शांति