चुनाव में बढ़ रहा है गधों का महत्व, फिर भी आखिर
चुनाव में बढ़ रहा है गधों का महत्व, फिर भी आखिर "गधे तो गधे" है
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जी हां हम 'गधे' की ही बात कर रहे है. जिसका महत्व दिनोदिन बढ़ता जा रहा है. वैसे तो 'गधा' हमेशा से ही एक अच्छा प्राणी माना जाता रहा है, जिसने हमेशा इंसान की सेवा ही की है, वह चाहे यातायात के मामले में हो या फिर सामान ढोने के मामले में दोनों में 'गधे' हमेशा से नंबर वन रहे है. यही नही 'गधों' का इतना काम होने के बाद भी इनके नाम का इस्तेमाल किसी व्यक्ति को संज्ञा देने के लिए भी किया जाता रहा है, जिसमे आलसी इंसान को 'गधे' के रूप में भी परिभाषित किया गया है. अक्सर देखा या सुना जा सकता है कि कुछ लोग जो बिलकुल आलसी और निकम्मे होते है, उन्हें 'गधे' की परिभाषा दे दी जाती है. जिसमे......... 'गधे' की तरह पड़ा है, कुछ करता क्यों नही....... हमेशा 'गधों' की तरह रहता है...... तू 'गधा' है कभी नही सुधर सकता..... आदि आदि तरह तरह की परिभाषाये है, जो 'गधे' को लेकर कही जाती है, किन्तु इस बात को लेकर 'गधे' ने कभी कोई शिकायत नही की है. हां यह बात जरूर है कि 'गधा' थोड़ा सुस्त प्राणी है किन्तु इसका मतलब यह तो नही कि उसकी आलोचना या उपेक्षा की जाये.

देश में बहुत सारे ऐसे काम है, जिसमे आज भी 'गधों' का इस्तेमाल किया जाता है, शायद उनके बिना वह काम अधूरे रह जाते. यही नही आपातकाल के समय में भी 'गधे... गधे' बनकर नही बल्कि एक सेवाभावी प्राणी बनकर उभरे है. किन्तु उन्हें इस बात का अभिमान इसलिए नही है क्योकि वे तो 'गधे जो ठहरे'. किन्तु हाल में उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में माननीय अखिलेश यादव ने 'गधों' के ऊपर बयान देकर गधों का दिल तोड़ दिया है. अखिलेश यादव ने गधों को लेकर कहा था कि अमिताभ बच्चन जी से कहेंगे कि वह गुजरात के गधों का प्रचार न करें. अमिताभ बच्चन गुजरात टूरिज्म के ब्रांड एम्बेसडर हैं जिसके विज्ञापन में जेब्रा, गधे व अन्य जानवरो को दौड़ते हुए दिखाए जाते है. किन्तु अखिलेश यादव का यह बयान गधों को इसलिए बुरा लग गया क्योकि वे ना तो किसी राजनितिक पार्टी को सपोर्ट करते है, और ना ही वे वोट देते है, तो आखिर उन्हें लेकर ऐसा बयान क्यों दिया गया. 'गधे' तो सभी पार्टियों के लिए 'गधे' है, फिर हमारा नाम क्यों घसीटा गया. 

अगर गधे भी इंसान की तरह बोलते तो.... जो 'गधे' राजनीती का ज्ञान रखते है वे इस पर जरूर भाषण बाजी करते. जो 'गधे' समाजसेवी है वे आंदोलन या अनशन करते, या फिर जो गधे दिल से आशिक है, उनके मुह से यह आवाज निकलती कि ......हायययययय बेदर्दी ने मेरा दिल तोड़ दिया. किन्तु वे कह क्या सकते है. हालांकि इस बात पर अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या गधे इस बात को लेकर कोई बड़ा मुद्दा बनायेगे. किन्तु अखिलेश यादव के इस बयान का अभी गधों पर कोई असर नही हुआ है, क्योकि कुछ भी करो गधे तो गधे है.

क्या सच में मोदी जी यूपी के गोद लिए बेटे है ?????

You Know ...... हँसने के पैसे लगते है क्या ????

आज का युवा 'की-बोर्ड' ठोक रहा है.....

अरे भाई कोई समझाओ इन लोगो को.....

 

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