इंसानियत आप में कही बाकी है
इंसानियत आप में कही बाकी है
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बीते दिनों जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में आतंकवादियों के हमले में एसएचओ फिरोज अहमद डार शहीद हो गए. 32 वर्षीय शहीद फिरोज का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव लाया गया, उस समय जनाजे में शामिल लोगों को उनका फेसबुक पोस्ट याद आ रहा था. शहीद डार ने ये पोस्ट 18 जनवरी, 2013 को लिखा था जिसमे उन्होंने लोगों को अपने आखिरी सफर की कल्पना करने को कहा था.

इस पोस्ट में डार ने लिखा था कि क्या कभी आपने खुद से इस बारे में पूछा है कि मेरी कब्र में मेरे साथ पहली रात को आखिर क्या होगा. क्या उस पल के बारे में सोचा है जब आपको कफ़न पहनाने के लिए शव को नहलाया जा रहा होगा. आपकी कब्र तैयार की जा रही होगी. उस पल के बारे में ख्याल किया है जब आपको कब्र में डाला जा रहा होगा. इस पोस्ट के बारे में पढ़ कर आप भी कुछ खो गए होंगे.

क्या कभी किसी ने सोचा है कि आप जो करते है उसका हिसाब आपको जिंदगी खत्म होने के बाद देना है. यदि कोई ऐसा सोचता तो अजाब के डर से गुनाह ही नहीं करता. मौत के बाद के हिसाब की चिंता किसी को होती तो चोरी, लूटपाट नहीं होती, बलात्कार नहीं होते, दंगे नहीं होते, धोखाधड़ी नहीं होती. शहीद फिरोज की ये पोस्ट काफी कुछ सोचने पर मजबूर कर देती है. अगर इसे पढ़ने के बाद आपका मन ठहर जाए और आप सोचे कि गलत काम न करे, तो समझ जाइये इंसानियत कही न कही आप में जीवित है.

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