क्या आप जानते हैं हर महिला के होते हैं चार पति
क्या आप जानते हैं हर महिला के होते हैं चार पति
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शादी हर किसी के लिए एक खास मौका होता है जिसके लिए हर कोई उत्साहित रहता है. हर कोई सोचता है कि उसका होने वाला हमसफ़र कैसा होगा. आप भी ऐसा ही कुछ सोचते होंगे तो चलिए आज हम आपको इसके बारे में कुछ ऐसा बताने जा रहे हैं जिससे आप चौंक जायेंगे. 

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शास्त्रों के अनुसार भले ही आपकी शादी पहली बार हो रही हो लेकिन अपन अपनी पत्नी के चौथे पति होते हैं. जी हाँ, हैरान हो गए होंगे, हर महिला के चार पति होते हैं और आप चौथे स्थान पर होते हैं. विवाह के समय मंडप पर बैठे दूल्हे का नम्बर चौथा होता है. उससे पहले उसकी पत्नी का स्वामित्व तीन अन्य लोगों को सौंपा जाता है. दरअसल, वैदिक परंपरा में नियम है कि कोई भी स्त्री अपनी इच्छा से चार पुरुषों को पति बना सकती है. महिला को पतिव्रत की मर्यादा में रखने के लिए विवाह के समय महिला का विवाह तीन देवताओं से करवा दिया जाता है.

सबसे पहले कन्या का स्वामित्व चंद्रमा को सौंपा जाता है. 
इसके पश्चात् विश्वावसु नामक गंधर्व को और 
अग्नि को सौंपा जाता है और अंत में उसके पति को सौंपा जाता है.

इसी के बाद विवाह पूरा होता है. जिस तरह द्रौपदी ने पांच पुरुषों को अपना पति स्वीकारा था लेकिन अगर चार पुरुषो को पति माना होता तो कर्ण उन्हें वेश्या नहीं कह सकता था. इस वैवाहि क व्यवस्था को स्थापित करने वाले उद्दालक ऋषि के पुरी श्वेतकेतु थे.

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