एमबीबीएस की फीस सरकार देगी, बदले में डॉक्टर 5 साल गांवों में सेवा देंगे
एमबीबीएस की फीस सरकार देगी, बदले में डॉक्टर 5 साल गांवों में सेवा देंगे
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इंदौर : गाँवो में डॉक्टरों की कमी और डॉक्टरों की ग्रामीण क्षेत्र में कार्य करने की अरुचि का सरकार ने तोड़ निकालते हुए सरकारी व निजी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस में प्रवेश लेने वाले छात्रों की फीस राज्य सरकार ने भरने का फैसला किया है , लेकिन शर्त यह होगी कि डिग्री के बाद उन्हें पांच साल गांव में रहकर सेवा करना पड़ेगी इसके लिए निजी कॉलेज के छात्रों को 25 लाख और सरकारी कॉलेज के छात्रों को 5 लाख रुपए बांड भरकर सरकार को देना होगा. शर्त तोड़ने पर बांड की राशि सरकार रख लेगी. यह शर्त उन छात्रों पर लागू होगी, जिनकी फीस सरकार ‘मेधावी छात्र योजना’ के तहत भरेगी.

इस नई योजना की जानकारी देते हुए डीन डॉ. शरद थोरा ने बताया कि प्रदेश सरकार ने यह योजना इसी वर्ष से लागू की है, जिसमे सामान्य श्रेणी के ऐसे छात्रों की पढ़ाई का खर्च सरकार उठाएगी जिनके माता-पिता की सालाना आय 6 लाख रुपए से कम है. सरकारी कॉलेज में प्रवेश लेने वाले छात्रों के लिए दो साल और निजी कॉलेज में प्रवेश वाले छात्रों को पांच साल गांव में सेवा देने की शर्त रखी गई है. डीन ने यह बताया कि यदि किसी छात्र ने नीट परीक्षा पास की है और अन्य मापदंडों पर वह खरा उतरता है तो छात्र की पढ़ाई का खर्च सरकार उठाएगी. ऐसे छात्रों के लिए ग्रामीण सेवा की अवधि और बांड राशि बढ़ाई गई है.

गौरतलब है कि सरकारी मेडिकल कॉलेज में सालाना 50 हजार और निजी कॉलेज में 5 लाख फीस ली जाती है. डॉक्टरों की कमी को देखते हुए कई सालों से राज्य सरकार द्वारा बैंक गारंटी बांड भरवाए जाते हैं. एमबीबीएस व पीजी दोनों ही छात्रों को गांवों में एक-एक साल की सेवा के बदले में 10-10 लाख की बैंक गारंटी का बांड भरवाया जाता है, जबकि आरक्षित वर्ग के लिए बांड राशि 5 लाख रुपए निर्धारित की है.

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