भोपाल : देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की आज गुरुवार को दूसरी पुण्यतिथि है. कलाम भले ही भौतिक रूप से हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी सादगी और सरलता की कई अमिट यादें हमारे दिलो-दिमाग पर अंकित है . डॉ कलाम की सादगी का किस्सा याद आया है . 2005 में जब डॉ. कलाम मध्य प्रदेश के चित्रकूट में समाजसेवी नानाजी देशमुख आश्रम में आए थे तो वे प्रोटोकॉल तोड़कर आम लोगों के साथ ज़मीन पर पंगत में बैठकर भोजन करने लगे थे.
गौरतलब है कि यह घटना 6 अक्टूबर 2005 की है जब भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम चित्रकूट में नानाजी देशमुख के दीनदयाल शोध संस्थान के 'ग्राम विकास प्रकल्प' को देखने आए थे.तब उनकी सादगी की एक मिसाल देखने को मिली. जब कलाम साहब जमीन पर पंगत में बैठकर महिला सरपंचों के साथ केले के पत्ते पर भोजन करने लगे, जबकि राष्ट्रपति होने के नाते उनके लिए भोजन की पृथक व्यवस्था की गई थी.
बता दें कि डॉ. कलाम को जब पता चला कि चित्रकूट के आसपास 80 गांव गांवों के विवाद बिना कोर्ट-कचहरी के निपटाए जाते हैं, तो उन्होंने दीनदयाल उपाध्याय संस्थान विवाद-मुक्त समाज की प्रशंसा कर तत्कालीन राष्ट्रपति कलाम काफी भावुक होकर अपने बचपन की यादों में खो गए.
डॉ. कलाम ने बताया कि, रोज नमाज के बाद मेरे पिताजी के पास भी 10-20 परिवार अपने घर और जमीन की समस्याएं लेकर आते थे. दो-तीन दिन में उन सबको मेरे पिताजी उनकी समस्याओं के बारे में सुझाव व निदान बताया करते थे. हर जुमा (शुक्रवार) को मेरी मां भी मुस्लिम महिलाओं की समस्याएं सुनती थीं और उन्हें निपटाने में मदद करती थीं. तब कलाम के बड़े भाई पंचायती अदालत के प्रमुख थे, लेकिन 70 के दशक के बाद ये व्यवस्थाएं खत्म हो गईं. अब अधिकांश झगड़े अदालतों में जाने लगे हैं. आज कलाम साहब नहीं है लेकिन उनके अच्छे काम और उनकी सादगी सदैव याद रहेंगी.
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