पुराने भोपाल में दो पक्षों की झड़प से मचा बवाल, पथराव से स्थिति बिगड़ी
पुराने भोपाल में दो पक्षों की झड़प से मचा बवाल, पथराव से स्थिति बिगड़ी
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भोपाल : प्रशासन की छोटी सी चूक कैसे हालात निर्मित कर देती है इसका नमूना है मंगलवार रात राजधानी के पुराने भोपाल इलाके में दो पक्षों में हुई झड़प. बाद में तनाव के हालात बन गए. कई बार पथराव हुआ. वाहन जला दिए गए, गाड़ियों में भी तोड़फोड़ की गई.आखिर आरएएफ सहित सभी थाना क्षेत्रों से बल बुलवाना पड़ा. यह सब हुआ चार दिन पहले हमीदिया अस्पताल परिसर की खुदाई में एक धार्मिक स्थल निकलने की बात से, जिसे प्रशासन ने हल्के रूप में लिया.

बता दें कि पीर गेट पर रात साढ़े आठ बजे के करीब नारेबाजी से विवाद की स्थिति उत्पन्न् हुई. देखते ही देखते दोनों पक्षों से बड़ी संख्या में लोग जमा हो गए. पुराने भोपाल के प्रमुख चार बत्ती, मोती मस्जिद, फतेहगढ़, हमीदिया, अग्रसेन चौराहा, रॉयल मार्केट, सेफिया कॉलेज रोड, इमामबाड़ा और पीरगेट भवानी चौक पर लोग साढ़े तीन घंटे तक जमा रहे. मौजूद पुलिस बल ने जमा लोगों को बलपूर्वक तितर-बितर किया, लेकिन पुलिस की कोशिश नाकाम रही. कई बार पथराव हुआ, अलग-अलग गलियों में भागे उपद्रवियों ने इमामबाड़ा रोड पर पुराना डाकघर के सामने बड़े वाहन जला दिए गए, वहीं रोड किनारे खड़ी गाड़ियों में भी तोड़फोड़ की गई.

उल्लेखनीय है कि डीआईजी रमन सिंह सिकरवार और कलेक्टर निशांत बरबड़े की कोशिशों के बावजूद स्थिति नियंत्रित नहीं होने पर आंसू गैस के गोले छोड़े गए. लोग वापस होने को तैयार नहीं थे. स्थिति बेकाबू होती जा रही थी. रात करीब 11 बजे मौके पर आरएएफ की टुकड़ी को बुलाया गया. उपद्रवियों को खदेड़ते हुए उन पर आंसू गैस के गोले छोड़कर स्थिति काबू में की गई. उपद्रव मचा रहे लोगों को बल पूर्वक काबू में करने के आदेश दिए गए. तब रात 12 बजे के बाद स्थिति को नियंत्रित किया जा सका.

बताया जा रहा है कि चार दिन पहले हमीदिया अस्पताल परिसर में खुदाई के दौरान एक धार्मिक स्थल निकला था इस पर एक समुदाय विशेष ने अपना दावा किया. इस मामले में प्रशासन ने समुदाय विशेष के धर्मगुरुओं चर्चा की, लेकिन कोई निर्णय नहीं हुआ. इसी बीच सोमवार को एक धर्मगुरु ने अपील जारी कर लोगों से धार्मिक स्थल के निर्माण कार्य में मदद के लिए आगे आने की बात कही. अपील के बाद से ही कुछ इलाकों में माहौल गर्माने लगा था. बड़ी संख्या में लोग जुटने लगे. इसके बाद भी प्रशासन हरकत में नहीं आया. उसने लोगों को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाए.

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