भारत विरोधी चीन की दोहरी चाल
भारत विरोधी चीन की दोहरी चाल
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में जब चीन के प्रधानमंत्री भारत आए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन की यात्राऐं कीं तो ऐसा लगा जैसे फिर से हिंदी-चीनी भाई-भाई के नारे गूंजेंगे और दोनों देशों के वर्षों से चल रहे विवाद मिट जाऐंगे लेकिन इस बार तो फिर चीन भारत की सीमाओं की ओर बढ़ने लगा। भारत काफी चिंतित था लेकिन खुले तौर पर भारतीय नेता और जिम्मेदार कुछ कह न सके लेकिन चीन भारत को सामरिक, राजनीतिक, कारोबारी तौर पर और वैश्विक स्तर पर कमजोर करने में लगा रहा।

यूएन में भारत की एनएसजी सदस्यता की बात हो या फिर भारत की अरूणाचल और अन्य क्षेत्रों की अंतर्राष्ट्रीय सीमा की बात हो। चीन सभी मसलों पर या तो पाकिस्तान का पक्ष लेता रहा है या फिर अपनी दादागिरी अप्रत्यक्षतौर पर चलाता रहा है। भारत की अंतर्राष्ट्रीय सीमा में दाखिल होकर टाॅवर बनाना और नेटवर्क प्रणाली से नज़र रखना इसके सामरिक षडयंत्र को दर्शाता है। चीन जिस तरह से भारत के बाजार में डुप्लिकेट और सस्ते उत्पाद पहुंचा रहा है

वह भारत की आर्थिक स्थिति को प्रभावित कर रहे हैं। भारत के विरूद्ध चीन का यह षडयंत्र पाकिस्तान के इशारे पर भी हो रहा है। मगर चीन को यह नहीं भूलना चाहिए कि पाकिस्तान के साथ अधिक मित्रता निभाना उसे आतंकवाद के डायबिटिज़ की ओर ले जा सकती है जबकि भारत का साथ उसे कइ मसलों पर प्रगति दिलवा सकता है।

'लव गडकरी'

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