सुहागिनों के लिए किया जाता है अविधवा नवमी का श्राद्ध
सुहागिनों के लिए किया जाता है अविधवा नवमी का श्राद्ध
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इन दिनों श्रद्धालु श्राद्ध पक्ष के विभिन्न दिनों अर्थात् तिथियों में अपने प्रिय जनों की तृप्ति और शांति के लिए पितृ तर्पण, श्राद्ध कर्म, पूजन करने में व्यस्त हैं। ऐसे में ये श्रद्धालु पंडितों को जीमाना नहीं भूलते हैं। श्राद्ध पक्ष की मान्यताओं के तहत अलग - अगल तिथियां अलग अलग महत्व की बताई गई हैं। इन तिथियों में मृत्यु या देवलोक अथवा पितृलोक को प्राप्त हो चुके पितरों उनका श्राद्ध कर्म किया जाता है।

यही नहीं कुछ विशेष तिथियां उन पितरों के लिए होती हैं जो सुहागन रूप से कुंआरे ही मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं। जहां कुंआरों का श्राद्ध कुंआरा पंचमी पर किया जाता है वहीं नवमी तिथि का श्राद्ध सौभाग्यवती तौर पर मृत्यु को प्राप्त होने वाली स्त्रियों के लिए किया जाता है।

अर्थात् ऐसी स्त्रियां जो अपने पतियों के मृत्यु को प्राप्त होने के पहले ही मृत हो जाती हैं और पितृ लोक या स्वर्ग लोक को जाती हैं उनका श्राद्ध नवमी तिथि को किया जाता है। इस बार नवमी तिथि का श्राद्ध शनिवार को होगा। इस दिन को अविधवा नवमी भी कहते हैं। यह तिथि बेहद शुभ मानी जाती है।

इस दिन किसी पंडित को दान, सौलह श्रृंगार की सामग्री दान देने के साथ भोजन करवाने के अलावा किसी सुहागन को जिमाऐं और उसे वस्त्र, सौलह श्रृंगार की सामग्री अथवा भोजन देकर आपकी यथा शक्ति तृप्त करें। आपकी मनोकामना जरूर पूर्ण होगी।

21 सितंबर को होंगे दो तिथियों के श्राद्ध

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