क्रिसमस ट्री का प्रयोग सामान्य रूप से विश्व के यूरोपीय देशो बेल्जियम , नार्वे , स्वीडन तथा हॉलैंड में तो भुत भगाने के लिए किया जाता था. एक मान्यता के अनुसार क्रिसमस ट्री को क्रिसमस पर सजाने पर सजाने की परम्परा जर्मनी से प्रारम्भ हुई. 19वी सदी तक यह परम्परा इंग्लैंड में पहुंच गयी, जहा से सारे विश्व में यह प्रचलन में आ गयी. अमेरिका में इसे जर्मनी के अप्रवासियो ने आरम्भ किया था.
वैसे तो क्रिसमस ट्री की कहानी प्रभु यीशु मसीह के जन्म से है. जब उनका जन्म हुआ तब उनके माता पिता मरियम एवं जोसेफ बधाई देने वालो ने, जिनमे स्वर्गदूत भी थे, एक सदाबहार फर को सितारों से रोशन किया था. तब से ही सदाबहार क्रिसमस फर के पेड़ को क्रिसमस ट्री के रूप में मान्यता मिली.
प्राचीन इतिहास ओर कुछ कथाओं से यह भी पता चला है कि क्रिसमस ट्री का वृक्ष अदन के बाग़ में भी लगा था. जब हव्वा ने उस वृक्ष के फल को तोड़ा, जिस परमेश्वर ने खाने ने मना किया था.तब इस वृक्ष की वृद्धि रुक गयी और पत्तियां सिकुड़ कर नुकीली बन गयी. कहते है इस पेड़ की वृद्धि उस समय तक नही हुई , जब तक प्रभु यीशु का जन्म नही हुआ.
सबसे सजा हुआ क्रिसमस का पेड़ 1510 ईस्वी में Latvia में रिगा शहर में देखा गया था.
क्रिसमस ट्री का पहला प्रिंटेड रिफरेन्स 1531 में जर्मनी में देखा गया था.
लगभग 1 लाख लोगो को फुल टाइम या पार्ट टाइम क्रिसमस ट्री इंडस्ट्री से रोजगार मिलता है.
अमेरिका में 15 हजार से ज्यादा क्रिसमस ट्री फार्म्स है जहा 3.5 करोड़ से ज्यादा क्रिसमस ट्री के पौधे है.
बाइबिल के अनुसार यीशु मसीह के जन्म के कारण